बिल्ली की 5 पांच कहानियां || 5 Best Cat Stories In Hindi ||
# दो बिल्लियां और बंदर
# बिल्ली के गले में घंटी
# बिल्ली और कुत्ता
# शेर चूहा और बिल्ली
# खरगोश तीतर और धूर्त बिल्ली
# दो बिल्लियां और बंदर ……………
दो बिल्लियां आपस में बहुत अच्छी दोस्त थी. वह सारा सारा दिन एक दूसरे के साथ ही चलती रहती थी. ढेर सारी बातें भी करती थी. और साथ में भोजन की तलाश भी करती थी.
1 दिन दोनों बिल्लियां भोजन की तलाश में निकली. बहुत देर इधर-उधर भटकने के बाद उनकी नजर रास्ते में पड़ी एक रोटी के टुकड़े पर, उनमें से एक बिल्ली ने उसको छठ से मुंह से उठा लिया और मुंह में डाल लिया.
यह देख कर दूसरी बिल्ली टोकी और बोली,” अरे, तुम अकेले अकेले इसे कैसे खा रही हो? हम दोनों ने तो इसे साथ में देखा था. इसलिए हमें इसे बैठकर खाना होगा.
यह बात सुनकर पहली बिल्ली ने अपनी रोटी में से थोड़ा सा टुकड़ा रोटी का तोड़कर दूसरी बिल्ली को दे दिया. जब दूसरी बिल्ली ने उस रोटी के टुकड़े को छोटा सा देखा तो उसे बुरा लगा. और वह उससे बोली,” अरे, यह टुकड़ा तो रोटी का बहुत छोटा है. तुम्हें इंसाफ से रोटी के दो बराबर टुकड़े करने चाहिए थे. तुम मेरे साथ बेईमानी कर रही हो.”
इस बात पर दोनों बिल्लियों में बहस होने लगी. उनकी बहस बढ़ते बढ़ते लड़ाई तक पहुंच गई. अचानक वहां से एक बंदर जा रहा था. बंदर ने उन दोनों बिल्लियों को लड़ते हुए देखा. तो उसने उनसे पूछा किस वजह से तुम दोनों आपस में लड़ रही हो. दोनों बिल्लियों ने अपनी अपनी बात बंदर को बता दी.
सारी बात सुनने के बाद बंदर बोला,” अरे इतनी सी बात पर तुम दोनों झगड़ रही हो. मेरे पास इसका एक इलाज है. मेरे पास एक तराजू है. यदि तुम दोनों चाहो तो मैं रोटियों को बराबर बराबर बांट सकता हूं.”
बंदर की बात सुनकर दोनों बिल्लियां तैयार हो गई. बंदर एक राजू लेकर आया, उसने बिल्लियों से रोटी ली और उसे मोड़कर तराजू के दोनों पल्ले रखकर तो लगा. दोनों बिल्लियां भूखी थी, और वह उसे हाथ भरी आंखों से देखने लगी.
तराजू मैं रखी रोटियों में से एक टुकड़ा बड़ा और एक टुकड़ा छोटा था. जिसकी वजह से तराजू एक तरफ झुक गया. फिर बंदर बोला,” अरे यह क्या एक टुकड़ा बड़ा है और एक दुकान छोटा है. चलो मैं इनको बराबर कर देता हूं.” उसने रोटी के बड़े टुकड़े में से थोड़ा सा टुकड़ा अपने मुंह में डाल दिया.
आप क्या था अब दूसरा टुकड़ा पहले टुकड़े से बड़ा हो गया. बंदर ने भी यही किया बड़े टुकड़े में से थोड़ा सा टुकड़ा अपने मुंह में डाली. फिर क्या था यही सिलसिला चल पड़ा. रोटी का जो टुकड़ा बड़ा होता है उसे बराबर करने के चक्कर में अंदर उसे पैसे थोड़ा-थोड़ा खा लेता था.
ऐसे करते-करते रोटी के कुछ छोटे-छोटे टुकड़े रह गए. बिल्लियों ने जब देखा तो वह घबराने लगी उन्हें एहसास हुआ ऐसे में तो उनके हाथ कुछ भी नहीं आने वाला है. बंदर भाई तुम क्यों परेशान होते हो लाओ हम दोनों ही इसे आपस में बांट लेंगे.
बंदर ने बिल्ली की बात सुनी और बोला ठीक है चलो लेकिन अब तक जो मैंने तुम्हारे इस काम में मेहनत की है मुझे उसका महंत आना चाहिए. इसलिए रोटी के टुकड़े मेरे और वह टुकड़े उसने मुंह में डालिए और वहां से चलता बना.
दोनों मिल लिया उसे देखती रह गई. उन दोनों को अपनी गलती का एहसास हो चुका था यह दोनों समझ गई थी कि आपस में फूट डालकर कभी भी दोनों को लाभ नहीं होगा बल्कि उससे दूसरे को ही फायदा होगा. इसलिए आपस में हमेशा प्रेम से रहना चाहिए.
आपस में मिलजुल कर रहे. अन्यथा आपसी फूट का फायदा कोई तीसरा ही उठा लेगा.
सीख पहला सबक है
# बिल्ली के गले में घंटी…………………..
एक शहर में एक बहुत बड़ा मकान था. उस मकान में डेरा जमा कर अपना घर बना रखा था. जब भी उन लोगों को मौका मिलता वह बाहर निकलते बिलो से खाने की तलाश में और खाना खाने के बाद अपने दिलों में चले जाते थे. उनका जीवन बहुत अच्छी तरह से मजे मजे में बीत रहा था.
दूसरी तरफ उनका मकान मालिक उनकी हरकतों से बहुत परेशान था. उसने एक दिन सोचा कि इनसे छुटकारा कैसे पाया जाए. इसलिए वह अपने उस मकान में एक बड़ी सी बिल्ली ले आया. अब क्या था वह बिल्ली भी वहां रहने लगी उस बड़े मकान में जहां पर चूहे रहते थे. बिल्ली के आने के बाद चूहों का रहना हराम हो गया था. जो भी चूहा अपने बिल से निकलता वे बिल्ली और चूहे को चट कर जाती.
चूहों का अपने बिलों से निकलना हराम हो चुका था यह देश के माहौल में रहने लगे थे. बिल्ली उन सबके लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन चुकी थी. अपनी इन समस्या का समाधान निकालने के लिए सब चूहों ने एक बड़ी सभा बुलाई.
उस सभा में सभी चूहे उपस्थित हुए. जो सभा का अध्यक्ष चुना था उसने सब को संबोधित करते हुए कहा,” साथियों, आप सब लोग जानते ही हैं कि हम लोग इस बिल्ली की समस्या से जूझ रहे हैं. वह रोज ना रोज हमारे किसी ना किसी साथी को मारकर खा जाती है. अब तो हमारा बिलो से निकलना भी मुसीबत बन चुका है लेकिन हम कब तक दिलों में छुप कर ही रहेंगे और हम बाहर ना निकले. हमें अपनी समस्या का समाधान निकालना होगा. आज इसी समस्या के लिए हमने आप सबको यहां बुलाया है. जिससे कि आप हमें अपने अपने सुझाव दें.
एक-एक करके सभी चूहों ने अपनी अपनी सुझाव अध्यक्ष को सुनाएं. लेकिन किसी के भी एक सुझाव पर कोई भी एकजुट नहीं था
यह देख कर एक चूहा गुस्से में उठा और बोला,” मेरे दिमाग में अभी-अभी एक बहुत अच्छा उपाय आया है. क्यों ना हम सारे मिलकर बिल्ली के गले में घंटी डाल दे? इससे क्या होगा कि बिल्ली जब भी हमारे आसपास होगी तो हमें उसकी आवाज आ जाएगी. और हम लोग अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकले . उसने सब से पूछा बताओ मेरा उपाय आप सबको कैसा लगा?
सारे चूहों को उस चूहे की बात सुनकर बहुत अच्छा लगा. सब लोग उसकी बात पर सहमत हो गए. लेकिन तभी एक अनुभवी चूहे ने कहा,” मूर्खों नाचना गाना बंद करो और जरा यह तो बताओ कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे गा?
यह बात सुनते ही सारे चूहों का नाचना गाना बंद हो गया. बिल्ली के गले में घंटी बांधना अपनी जान से हाथ धोना था. कोई इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था. अब क्या था सभा में शांति छा गई. तभी इस शांति को चीरते हुए बिल्ली के कदमों की आहट सुनाई दी और फिर क्या था. सब तुरंत अपने अपने बिलों में जा भाग खड़े हुए.
योजना बनाने का कोई औचित्य नहीं होता, जब तक उसको अच्छी तरह से लागू न किया जाए.
सीख पहला सबक है
# कुत्ता और बिल्ली……………….
एक समय की बात है. एक दिन एक बिल्ली कहीं जा रही थी. तभी रास्ते में उसे एक विशाल आकार का कुत्ता नजर आया. जिसको देखकर दिल्ली डर गई. कुत्ते और बिल्ली जन्म से ही एक दूसरे के दुश्मन होते हैं. बिल्ली को एहसास हो गया कि उसकी जान पर खतरा है. इसलिए वह वहां से तुरंत भाग निकली. लेकिन फुर्ती में वह कुत्ते से पीछे थी. थोड़ी ही दूर भागने के बाद उस कुत्ते ने उसे दबोच लिया.
बिल्ली की जान पर मुसीबत आ गई थी मौत उसके सामने खड़ी थी. कोई और रास्ता न था कुत्ते की आगे गिड़गिड़ाना के अलावा इसलिए वह कुत्ते की गुर्जर आने लगी. लेकिन कुत्ते पर उसके रोने का कोई भी असर नहीं हुआ. वे उसे मारने के लिए पूरी तैयार से था. तभी अचानक दिल्ली के दिमाग में कुछ आया. उसने कुत्ते से कहा मेरी लास्ट इच्छा है मेरी इच्छा का प्रस्ताव कृपया करके सुनें,” यदि तुम मेरी जान वर्क्स दोगे, तो मैं तुम्हारे लिए कल से भोजन की तलाश सहायता करूंगी. मैं वादा करती हूं मैं तुम्हें रोज तुम्हारा लेकर आऊंगी. तुम्हारे खाने के बाद यदि कुछ बच गया, तो तुम मुझे दे देना मैं उससे अपना पेट भर लूंगी”
कुत्ते को बिना मेहनत करें रोज खाना मिलने का प्रस्ताव जब सुना तो उसने स्वीकार कर लिया. लेकिन उसने बाद में यह भी कहा कि अगर तुमने मुझे धोखा दिया तो इसका परिणाम बहुत गलत होगा. बिल्ली ने कसम खाई कि वे किसी भी सूरत में अपना वादा नहीं तोड़ेंगे और वहां से चली गई.
कुत्ता खुश हो गया. उस दिन के बाद से वह बिल्ली के लाए हुए खाने पर ही निर्भर हो गया. कुत्ता पूजन के लिए कहीं भी नहीं जाता था जब उसका मन होता तो वह बिल्ली का इंतजार करता उसके लिए खाना नहीं चाहती. रात दिन अपने डेरे पर लेटा रहता था और बिल्ली का इंतजार करता था. बिल्ली भी अपने किए हुए वादे के अनुसार उसे खाना लेकर रोज आती थी. महीने बीत गए. महीने भर से कुत्ता कहीं बाहर निकला ही नहीं था. वह बस एक ही स्थान पर लेटा रहता था. एक स्थान पर लेटे रहने की वजह से कुत्ता मोटा भारी हो गया.
एक दिन कुत्ता रोज की तरह बिल्ली का रास्ता देख रहा था अब क्या था बिल्ली रास्ता देखते देखते वह थक गया मिली तो आने का नाम ही नहीं ले रही थी. बहुत देर हो चुकी थी. जब काफी ज्यादा देर हो गई तो कुत्ते को भूख बहुत तेज लगने लगी उसने सोचा आज भी नहीं आएगी इसलिए मैं खुद को ही उठाकर अपने साथ भोजन की तलाश में निकलता हूं और वे चल पड़ा.
वह कुत्ता कुछ ही दूर गया था कि उसकी दृष्टि एक बिल्ली पर पड़ी बड़े मजे से चूहे पर हंसा कर रही थी. उसे गुस्सा आया और उसने बिल्ली से कहा,” धोखेबाज बिल्ली, तूने अपना वादा तोड़ दिया अब तेरी जान की खैर नहीं”
इतना कहकर वे बिल्ली की तरफ दौड़ा. बिल्ली पहले से ही वहां से फुल हो चुकी थी. वह बिल्ली अपनी जान बचाकर तुरंत वहां से भाग गई. कुत्ता भी उसके पीछे दौड़ा. लेकिन क्या था इस बार बिल्ली कुत्ते से ज्यादा फुर्ती ली थी और वह कुत्ते से आगे निकल गई. कुत्ता मोटा और भारी होने की वजह से ज्यादा दूर दौड़ नहीं पाया और वह तक गया. उधर बिल्ली कब कुत्ते की आंखों से गायब हो गई पता ही नहीं चला.
दूसरों पर निर्भरता अधिक दिनों तक नहीं चलती. यह हमें कामचोर और कमजोर बनाते हैं अगर जीवन में सफल होना है तो आत्मनिर्भर बनना चाहिए
सीख पहला सबक है
# शेर चूहा और बिल्ली …………………….
काफी समय पहले की बात है| एक गुफा में एक शेर रहता था| और शेर हरदे शिकार के लिए अपनी गुफा से बाहर जाता था| वहां जाकर वह शिकार करके अपनी गुफा में आकर विश्राम करता था| एक दिन अचानक कहीं से एक चूहा उस गुफा में आ गया और वह वहां बिल बनाकर रहने लगा|
जहां पर शेर विश्राम कर रहा था तब वह चूहा अपने दिल में से निकला कुत्ते को तड़पते वह उसके ऊपर छोड़ गया जब शेर ने यह देखा तो उसे बहुत तेज गुस्सा आया उस पर क्रोध करने लगा चूहे ने उस से माफी मांगी उससे कहा शेर राजा मुझे माफ कर दो मुझे छोड़ दो राजा ने उसे माफ करते हुए उसे छोड़ दिया और सोचा यह भला मेरे किस काम आएगा|
समय बीतता गया एक दिन एक शिकारी ने शेर को अपने जाल में फंसी और शेर बुरी तरह से शिकारी के चंगुल में फंस गया| उधर से चूहों का झुंड जा रहा था उसके पुराने चूहे साथी ने उसको देख लिया उसके पास गया बोला क्या हुआ दोस्त तो उसने बताया कि मुझे ऐसे शिकारी ने पकड़ लिया है मुझे बचाओ मेरी हेल्प करो वादे के अनुसार उसने सब चूहों के साथ मिलकर उस जाल को काट दिया और शेर को आजाद कर दिया|
दोनों में मित्रता बहुत गहरी हो गई दोनों एक दूसरे के दोस्त बन गए|
सीख. हमें इससे यह सीख मिलती है कि हमें एक दूसरे की हेल्प करनी चाहिए
# खरगोश तीतर और धूर्त बिल्ली……………………….
काफी समय पहले की बात है एक पेड़ की जड़ में एक तीतर रहता था| 1 दिन भोजन की तलाश में वह तीतर वहां से अपना कहीं दूर जाने का सोचने लगा सोचते सोचते एक दिन वह हरे भरे खेत में पहुंच गया. वहां पर हरी-भरी अपनों को देख उसका मन ललचा ने लगा और उसने उस खेत में ही रहने का निर्णय लिया. और उसमें से खाना खाता और सो जाता था ऐसा वह नियमित रूप से करने लगा.
कुछ समय के बाद खाना खाते खाते इतना मोटा ताजी हो गया कि वह अपने आपको काफी अच्छा फील करने लगा तब उसके मन में आया कि उसको वापस अपने घर जाना चाहिए और वह अपने घर की ओर निकल पड़ा.
जब वह अपने घर के पास पहुंचा तो उसने देखा वहां पर एक खरगोश रह रह रहा है. क्योंकि उससे पहले वह तीतर वहां पर रहता नहीं था तब एक दिन खरगोश वहां आया और उसने उस जगह को अपना बना लिया और वहां पर हो रहने लगा.
अपने घर में तीतर ने खरगोश को कब्जा करते हुए देख क्रोधित हो गया तुम चोर हो तुमने मेरा घर चुरा लिया है चलो यहां से भागो………………..
लेकिन वह सबसे मस्त नहीं हुआ और अकड़ कर बोला कौन सा घर किसका घर यह मेरा घर है…… दोनों के बीच में गुस्सा झगड़ा बढ़ता गया और बात काफी आगे निकल गई दोनों लड़ते-लड़ते एक जगह पहुंच गए. वहां पर एक बिल्ली बैठी हुई थी दूर से उसने उन दोनों की बात सुनी. उसने उस स्थिति का लाभ उठाते हुए उन दोनों की बात सुनते हुए कहा मेरे पास आओ और मुझे अपनी अपनी बात दोनों एक एक करके बता.
दोनों की बात सुनकर दिल्ली ने अपना निर्णय बताने के लिए जैसे ही अपना मुख मुंह खोला यह को मुंह में पकड़ा और दूसरे को पंचे में दोनों को दबोच लिया कुछ ही क्षण में उसने दोनों को सफाचट कर दिया और पाखंडी बिल्ली वहां से चली गई.