एक दिन, एक छोटी सी बकरी जंगल में घूम रही थी। वह अकेली थी और उसे डर भी था। तभी उसे एक बड़ा सा हाथी मिला। हाथी देखते ही बकरी डर से कांपने लगी।
हाथी बकरी को देखकर प्यार से मुस्काने लगा और कहा, “अरे बकरी, डरने की कोई ज़रूरत नहीं। मैं तुम्हे कुछ नहीं करूँगा।”बकरी ने हाथी की बड़ी बड़ी आंखों को देखा और धीरे से पूछा, “सच में? आप मुझसे कुछ नहीं करेंगे?”
हाथी ने हंसते हुए कहा, “हां, पक्का। मैं तुम्हे कुछ नहीं करूँगा।
हम दोस्त बन सकते हैं।”बकरी ने हाथी की बड़ी सी पूंछ को देखकर कहा, “लेकिन हमारे बीच इतना फ़र्क़ है, आप इतने बड़े हो और मैं इतनी छोटी।”
हाथी ने प्यार से बकरी को समझाया, “फ़र्क़ होने से क्या फ़र्क़ पड़ता है?
हम दोस्त हो सकते हैं, बस मिलने और बातचीत करने का इरादा होना चाहिए।”
बकरी ने भरोसा किया और उस दिन से वे दोनों अच्छे दोस्त बन गए। वे साथ मिलकर खेलते, खाते, और जंगल के सफ़र पर जाते थे। उनकी दोस्ती दूसरे जंगलवासियों को भी हैरान कर देती थी।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि अगर हम दूसरों के बड़े-बड़े फ़र्क़ को देखकर उनसे दोस्ती करने से इनकार करेंगे तो हम कभी अच्छे दोस्त नहीं बन पाएंगे। सच्ची दोस्ती के लिए दिल में खुलकर रिश्ते बनाने की ज़रूरत होती है।