Hathi Aur Darji Ki Kahani | हाथी और दर्ज़ी की कहानी

Hathi Aur Darji Ki Kahani | हाथी और दर्ज़ी की कहानी

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक दर्ज़ी रहता था। उसका नाम रामु था। रामु बहुत मेहनती और कुशल दर्ज़ी था। वह अपने गांव के लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध था और लोग उसके काम से संतुष्ट रहते थे।

एक दिन, रामु को अपने एक मित्र के घर जाना पड़ा। रास्ते में, उसे एक विशाल और भयानक हाथी मिला। हाथी बहुत भयंकर दिखता था और उसका मुख्य विशेषता था उसके विशाल दांत। रामु बहुत डर गया, लेकिन उसने अपने साहस और धैर्य से खुद को सामने रखा।

Hathi Aur Darji Ki Kahani | हाथी और दर्ज़ी की कहानी

हाथी ने रामु को देखा और अचानक रोने लगा। रामु ने हाथी को पूछा, “आप रो क्यों रहे हो?” हाथी ने कहा, “मैं खुद को अकेला और असहाय महसूस कर रहा हूं। मेरे विशाल दांतों के कारण मेरे पास कोई भी मित्र नहीं है।”

रामु ने दिल से संवेदना जताई और हाथी के साथ अपनी दोस्ती की प्रारंभ की। उसने हाथी को अपने दर्ज़ी दुकान ले जाकर उसे एक खूबसूरत साफ़ सफाई और सजावट से बना एक चादर दी।

हाथी खुशी से उछला और उस चादर को पहन लिया। वह चादर उसकी शान बढ़ा दी और वह और भी सुंदर दिखने लगा। अब उसके पास नए दोस्त भी हो गए, क्योंकि रामु हमेशा उसके साथ खड़े रहते।

Hathi Aur Darji Ki Kahani | हाथी और दर्ज़ी की कहानी

इस कहानी का मोरल है कि सच्ची मित्रता और दया हमेशा से बड़ी चीज़ होती है। हमें दूसरों के संबंधों को समझने और उन्हें सहायता करने की ज़रूरत होती है।