Ugly Duckling Story In Hindi | बदसूरत बत्तख की कहानी
बदसूरत बत्तख की कहानी:एक छोटे से तालाब में एक बदसूरत बत्तख रहती थी। वह अपनी सुंदर सजावटी दोस्तों के बीच आत्मसम्मान खो चुकी थी। उसके बड़े-बड़े आकार वाले पंख थे, लेकिन उनमें सुंदरता का अभाव था। रोज़ वह देखती थी कैसे सभी उसके मज़ाक उड़ाते हैं और उसकी खूबसूरती को तारीफ नहीं करते।
उस छोटे से तालाब में एक माँ बत्तख अपने बच्चों को नहलाने के लिए आई। उसने बदसूरत बत्तख को देखा और उसका मजाक उड़ाते हुए कहा, “तुम तो बिलकुल अजीब दिखते हो! मैं अपने बच्चों को इससे दूर ही रखूँगी, ताकि वे तुमसे बिल्कुल न लगे।”
बदसूरत बत्तख को बहुत दुख हुआ। उसने सोचा, “मैं अच्छा क्यों नहीं दिखता? क्या मैं वाकई इतना बुरा हूँ?” वह तन्हा होकर रोने लगा। लेकिन उसका आंसू बहते-बहते तालाब में गिर गया और उसके साथ ही वह भी तालाब में गिर गई।
बदसूरत बत्तख ने डुबकी लगाने के बाद अचानक देखा कि उसके पंख अभियांत्रिकी तरीके से बदल रहे हैं। उसके सारे पंख बड़े हो रहे थे और उनमें सुंदरता की चमक दिखने लगी। उसने अच्छी तरह से पंख फड़फड़ाना सीख लिया और खुद को तालाब की ऊपरी सतह पर उड़ते हुए पाया।
Ugly Duckling Story In Hindi | बदसूरत बत्तख की कहानी
बदसूरत बत्तख को खुशी हो गई। उसने अपने नए रूप को देखा और खुशी से नाचने लगा। उसके सारे दोस्त और माँ बत्तख भी उसे देखकर चकरा जाते थे। वे सभी उसकी तारीफ करने लगे और बदसूरत बत्तख को उस पर गर्व हुआ।
धीरे-धीरे, समय बितते गया और बदसूरत बत्तख के पंख और भी खूबसूरत हो गए। उसकी खूबसूरती और उड़ने का नज़ारा तालाब के आस-पास के सभी पक्षियों को आकर्षित करता था। उसकी माँ बत्तख भी उसे गर्व से देखती थी।
एक दिन, बदसूरत बत्तख को एक झील पर जाने की इच्छा हुई। वह झील पर जा रही थी तो उसके दोस्तों ने उसे रोक दिया और कहा, “तुम झील पर जाना छोड़ दो। तुम तो हमारे बीच में बेकार हो गए हो।”
बदसूरत बत्तख को यह सुनकर दुख हुआ। वह उस झील पर जाने का सपना छोड़ने को तैयार नहीं थी। वह दोस्तों को अपनी कहानी सुनाने लगी, कैसे उसकी जिंदगी में भयंकर मुश्किलें आई थीं और उसने उन्हें कैसे पार किया था। उसके दोस्त चकित हो गए और उन्हें अच्छा लगा कि बदसूरत बत्तख ने अपने आप को बदलकर दिखाया है।
बदसूरत बत्तख की यह कहानी जिस झील पर पहुंची, वहां के बड़े-बड़े और सुंदर पक्षियों को उसके उद्दीपक अनुभवों ने चकित कर दिया। वे उसे अपने बीच में स्वागत करते हुए बोले, “तुम वाकई एक साहसी और खूबसूरत बत्तख हो। हमें गर्व है कि हमारी टोली में तुम जैसे दोस्त हैं।”
बदसूरत बत्तख ने धीरे से हंसते हुए उत्तर दिया, “धन्यवाद। मैं अभी भी वही बत्तख हूँ, बस अपने अंदर की खूबसूरती को पहचान लिया है।”
इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि हमें खुद को स्वीकारना चाहिए और दूसरों को भी उनकी सच्ची खूबसूरती को समझना चाहिए। हमारे अंदर भी सौंदर्य छिपा होता है, बस हमें उसे खोजने की जरूरत होती है। इस तरीके से हम सभी में सच्चे और समर्थ होते हैं, और हमारे अंदर छिपी खूबसूरती को स्वीकारने से हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ता है।