Little Red Riding Hood Story In Hindi | नन्ही लाल चुन्नी की कहानी
एक छोटी सी बच्ची अपने माता-पिता के साथ एक गांव में रहती थी। वह अपने माता-पिता से ज्यादा अपनी दादी से प्यार करती थी। उसकी दादी गांव के दूसरी ओर रहती थी जो कि जंगल से होकर निकलता था।
छोटी बच्ची की दादी ने उसे एक बार लाल रंग का एक हुड तोहफे में दिया था, जिसे वो हमेशा पहने रहती थी। इस कारण लोग उसे लिटिल रेड राइडिंग हुड यानी नन्ही लाल चुन्नी के नाम से बुलाते थे।
नन्ही लाल चुन्नी की कहानी हिंदी में | रेड राइडिंग हुड अक्सर अपनी दादी से मिलने जाया करती थी। वह ज्यादातर समय वहां रहती थी और फिर अपने घर चली आती थी। दादी भी लिटिल राइडिंग हुड को बहुत पसंद करती थी।एक बार लिटिल रेड राइडिंग हुड की दादी की तबीयत अचानक खराब हो गई। इस वजह से वह उससे ज्यादा नहीं मिल पाती थी। उसे इस बात का बहुत दुख था
Little Red Riding Hood Story In Hindi | नन्ही लाल चुन्नी की कहानी
तभी उसे पता चला कि उसकी मम्मी दादी के लिए भोजन और दवाइयां लेकर जा रही है। वह दौड़ी-दौड़ी अपनी मम्मी के पास पहुंची और पूछा, “मां, आप ये भोजन और दवाइयां किसके लिए लेकर जा रही हो?”
इसपर लिटिल रेड राइडिंग हुड की मां ने कहा, ” बेटा, मैं ये भोजन और दवाइयां तुम्हारी दादी के लिए लेकर जा रही हूं। ” यह सुनकर लिटिल रेड हुड खुश हो गई और मां से कहने लगी कि, ” क्या मैं ये भोजन और दवाइयां दादी के लिए लेकर जाऊं? मुझे उनसे मिलना है।”
लिटिल रेड राइडिंग हुड की मां राजी हो गई और उसे भोजन और दवाइयों की थैली देकर कहने लगी, ” ठीक है तुम जाओ, लेकिन ध्यान रहे कि सही रास्ते से जाना और रास्ते में किसी अजनबी से बात नहीं करना”।
यह सुनकर लिटिल हुड ने कहा, “ठीक है मां। मैं सीधे दादी मां के घर ही जाउंगी।” इतना कहकर छोटी बच्ची ने अपनी दादी का दिया हुआ हुड पहना और मां को बाय-बाय बोलकर जंगल के उस पार के गांव में जाने के लिए निकल पड़ी।
Little Red Riding Hood Story In Hindi | नन्ही लाल चुन्नी की कहानी
वह जंगल के रास्ते आगे बढ़ते चली गई। जंगल में कुछ दूर जाने के बाद ही उसके टोकरी से निकलने वाली खुशबू ने एक सो रहे भेड़िए को जगा दिया। भेड़िये की नजर उस छोटी बच्ची पर पड़ी।
उसे देखकर वह मन ही मन बहुत खुश हुआ और सोचा, “अरे वाह एक नन्हा शिकार, लेकिन यह जा किस तरफ रही है।”
भेड़िया तुरंत लिटिल हुड के पास पहुंचा और कहा, ” कैसी हो प्यारी बच्ची! क्या तुम ये स्वादिष्ट खाना मुझे चखने के लिए दोगी? ” भेड़िये का सवाल सुनकर छोटी बच्ची पहले तो डर गई, लेकिन फिर डरते हुए कहा, ” मुझे माफ कर दीजिए। मैं ये भोजन आपको नहीं दे सकती।
यह मैं अपनी बीमार दादी के लिए लेकर जा रही हूं, जो अकेले रहती है।” इसके बाद लिटिल रेड राइडिंग हुड ने थोड़ा सोचा और अपनी थैली से एक सेब निकालकर भेड़िए को देते हुए कहा, “आप ये खा लीजिए।”
भेड़िये ने लिटिल रेड राइडिंग हुड के हाथ से सेब ले लिया और मन ही मन सोचने लगा, “वाह! इसकी दादी भी अकेली रहती है तो पहले इसकी दादी को ही निगलता हूं और बाद में इसे, लेकिन तब तक इसे रोककर रखना होगा।”
इसके बाद भेड़िए ने लिटिल रेड राइडिंग हुड से कहा, “ अरे सुनो! जरा रुको और मेरी बात तो सुनो, मुझे पता है कि तुम्हारी बीमार दादी मां कैसे ठीक हो सकती है।”
यह सुनकर छोटी बच्ची खुश हो गई और भेड़िये से कहने लगी, “ सच में, पर कैसे? क्या आप मुझे बता सकते हैं कि वह जल्दी कैसे ठीक होंगी।”
इस पर भेड़िए ने कहा, ” हां, हां….मैं तुम्हें वो तरीका जरूर बताऊंगा। इसके लिए तुम्हें जंगल से कुछ स्ट्रॉबेरी तोड़नी होगी। इन स्ट्रॉबेरीज में जादुई शक्तियां हैं, जिसे खाते ही तुम्हारी दादी एकदम से ठीक हो जाएंगी। भेड़िये की बात सुनकर लिटिल हुड ने कहा, “ अरे वाह! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
मैं अभी जाकर थोड़ी-सी स्ट्रॉबेरी ले लेती हूं।” इतना कहकर लिटिल हुड स्ट्रॉबेरी तोड़ने चली गई।
दूसरी तरफ चालाक भेड़िये ने योजना बनाई कि, पहले दादी मां के घर चलते हैं। दरअसल, भेड़िये ने यह अच्छे से सोच लिया था कि वह सबसे पहले दादी मां को और फिर नन्हीं लिटिल हुड को निगलेगा।
इसके बाद भेड़िया दादी मां की घर की ओर चल पड़ा। दादी के घर पहुंचकर भेड़िये ने देखा कि वह पलंग पर आराम से सो रही है। वह जैसे ही घर में घुसा, दादी मां जग गई और भेड़िए को देखकर चौंक गई। उसने भेड़िये से पूछा कि “तुम यहां क्यों आए हो।” इस पर भेड़िए ने कहां, “तुम्हें और तुम्हारी पोती को खाने।” इसके बाद दादी मां ने उसे भगाने की कोशिश की, लेकिन भेड़िया नहीं माना और वह दादी मां को निगल गया।
इधर, लिटिल राइडिंग हुड स्ट्रॉबेरीज लेकर गाना गुनगुनाते हुए दादी के घर पहुंची। वहां पहुंचते ही उसने गेट खटखटाया और कहा, ” दादी मैं आ गई, जल्दी से दरवाजा खोलो। मैं आपके लिए बहुत सारी चीजें लाई हूं।”
तभी घर के अंदर से आवाज आती है, ” मेरी बच्ची दरवाजा खुला है, तुम सीधे घर में आ जाओ।” यह आवाज सुनकर लिटिल हुड को थोड़ा आश्चर्य हुआ। दरअसल, उसे अपनी दादी की आवाज बदली हुई लगी, लेकिन उसने सोचा कि शायद तबीयत खराब होने की वजह से उनकी आवाज बदल गई होगी।
फिर उसने गेट खोला और घर में घुस गई। यहां उसने देखा कि कमरे में पूरा अंधेरा था। वह अपनी दादी को आवाज लगाने लगी, “दादी! दादी! आप कहां हो और कमरे में इतना अंधेरा क्यों है?” इसपर कमरे से आवाज आई, ” अरे मेरी बच्ची, मैं बहुत दिनों से बीमार हूं, इस वजह से मेरा शरीर बहुत कमजोर हो गया है।”
यह सुनकर लिटिल रेड अंदर आ गई, फिर उसने कहा, “अच्छा! लेकिन, आपके कान इतने बड़े कैसे हो गए हैं। पहले तो ये ऐसे नहीं थे।” इस पर फिर से भेड़िये ने कहा, “अरे मेरी बच्ची मैं तुम्हारी बातों को अच्छी तरह से सुन पाऊं इसलिए मैंने अपने कान बड़े करवा लिए हैं।”
इसके बाद लिटिल रेड राइडिंग हुड ने फिर पूछा, ” तो दादी आपकी आंखें कैसे इतनी बड़ी हो गई।” इस पर दादी ने कहा, “बेटा वो इसलिए ताकि मुझे तुम्हें देखने में परेशानी न हो।” इसके बाद फिर से लिटिल हुड ने पूछा, ” अच्छा! तो फिर ये हाथ, ये क्यों इतने लंबे हो गए।”
इसपर दादी ने कहा,” ये हाथ तुम्हें गले लगाने के लिए लंबे हुए हैं।”
फिर उसने पूछा, “तो आपके दांत, वो इतने लंबे कैसे हो गए।” इस सवाल के जवाब पर भेड़िया उसके सामने आ गया और कहने लगा, “ताकि मैं तुम्हें अपना शिकार बना सकूं।” इतना कहते ही भेड़िया लिटिल राइडिंग हुड की तरफ कूद पड़ा और दादी की तरह उसे भी निगल गया।
इसके बाद दुष्ट भेड़िया दादी की पलंग पर सो गया और जोर-जोर से खर्राटे मारने लगा।
तभी एक लकड़हारा दादी मां के घर के पास से गुजर रहा था। जहां उसे जोर-जोर से खर्राटे की आवाज सुनाई दी, जिसे सुनकर वह रुक गया। उसने देखा कि खर्राटे की आवाज दादी मां के घर से ही आ रही थी।
वह घर के अंदर घुस गया। यहां उसने देखा कि दुष्ट भेड़िया दादी मां के पलंग पर सोया हुआ था। वह समझ गया कि दादी मां को भेड़िये ने निगल लिया है।
लकड़हारे ने तुरंत दुष्ट भेड़िये को सबक सिखाने की तरकीब सोची। वह कैंची ले आया और भेड़िया का पेट काट कर दादी मां और लिटिल हुड को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
इसके बाद लकड़हारे ने तुरंत दुष्ट भेड़िये के पेट में बड़ा सा पत्थर डाल दिया और दादी मां ने उसका पेट सिल दिया।
भेड़िये के पेट से बाहर निकलते ही नन्ही लाल चुन्नी ने सबसे पहले अपनी दादी मां से पूछा, “ दादी मां आप ठीक तो है न, उस भेड़िये ने आपको कुछ नुकसान तो नहीं पहुंचाया न?” इस पर दादी मां ने कहा, “नहीं, मेरी बच्ची! मैं बिल्कुल ठीक हूं।
मुझे कुछ नहीं हुआ है।” इसके बाद दादी मां, नन्हीं लिटिल हुड और लकड़हारा तीनों घर के दरवाजे के पीछे छिपकर दुष्ट भेड़िये के नींद से जागने का इंतजार करने लगे।
कुछ देर बाद भेड़िया नींद से जागा तो उसे महसूस हुआ कि उसका पेट काफी भारी है। उसने सोचा कि शायद उसने दादी मां और लिटिल हुड को निगला है, इस कारण उसका पेट भारी हो गया है।
इसके बाद वह नदी किनारे पानी पीने के लिए निकल गया। जैसे ही भेड़िया पानी पीने के लिए नदी किनारे नीचे झुका वह नदी में ही जा गिरा। इसके बाद दादी मां, लिटिल हुड और लकड़हारा बहुत खुश हुए और वापस अपने घर की ओर चल पड़े। ।
घर पहुंचकर लिटिल हुड ने अपनी दादी मां से वादा किया कि वह आगे से कभी भी किसी अजनबी से बात नहीं करेगी और साथ ही उसने अपनी और दादी मां की जान बचाने के लिए लकड़हारे को शुक्रिया कहा।
फिर तीनों ने एक साथ हंसी खुशी पूरा दिन बिताया और मजे से बैठकर चॉकलेट केक खाया।
यह कहानी से हमने सीखा
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा बड़ों की बात माननी चाहिए और अजनबी लोगों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसा नहीं करने से हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।