Best Moral Stories for kids in Hindi – Famous Hindi Short Stories -दुखों से मुक्ति

Best Moral Stories for kids in Hindi – Famous Hindi Short Stories -दुखों से मुक्ति

एक बार की बात है,

एक छोटा सा छोटा गांव था। इस गांव में एक आदमी रहता था जिसका नाम रामचंद्र था। रामचंद्र बहुत ही सुशील और खुशमिजाज आदमी था। हर किसी को उनकी मदद करना बहुत पसंद था और तारीफों के बदले कुछ नहीं चाहता था।लेकिन चाहे रामचंद्र जितना भी खुश और उमंग भरा क्यों ना रहता, उन्हें भी अपने जीवन में बहुत से दुःख मिलें। कहीं ना कहीं, कुछ ना कुछ नष्ट हो जाता था और यह उनको बहुत दुखी कर देता था। रामचंद्र चाहते थे कि उन्हें अपने जीवन से सभी दुःखों को दूर करने का एक रास्ता मिले।

एक दिन, रामचंद्र ने अपने गुरु से अपने दुःखों के बारे में बात की। गुरु ने रामचंद्र को एक कहानी सुनाई, जो उसी वक्त से उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया।उस कहानी में एक योगी की कथा थी। यह योगी एक खुदरा बस्ती में रहता था। वह अपने जीवन में उच्च स्थान पर बसी हुई खुशियों, सुखों और आनंदों की तलाश में था। हर रोज़ उसे किसी न किसी बात का दर्द होता था और उसे ये सोचकर बहुत दुख होता, कि वह सभी दुःख और कठिनाइयों से कैसे मुक्त हो सकता है।

Best Moral Stories for kids in Hindi – Famous Hindi Short Stories -दुखों से मुक्ति

फिर एक दिन, उसे एक विचार आया कि क्या अगर वह सभी दुःखों के बादलों को आधा कर देता है, तो क्या वह खुशी की बूँदों को भी आधा कर देगा। उत्तर तो वहने सर्वथा नहीं जान सकता था, लेकिन उसे एक अनुभव हो गया कि अगर वह अगले कुछ समय तक खुद को अवलोकित करता रहता है, तो उस दर्द और बादलों का आधा चला जाएगा।योगी ने यह अनुभव करते ही तुरन्त अमल किया और कम देर में उसके जीवन में एक अच्छी परिवर्तन आयी। उसे अब अपने दुखों का अधिकारी बनने की जरूरत नहीं थी, बल्कि उसने दुखों के स्वामी बन लिया था।

Best Moral Stories for kids in Hindi – Famous Hindi Short Stories -दुखों से मुक्ति

रामचंद्र ने इस कहानी से बहुत कुछ सीखा। उन्होंने तारीफों के बदले सभी दुःखों को जीना छोड दिया और अपने जीवन को एक नये नज़रिए से देखने लगे। उन्होंने सिख लिया कि हर दुःख एक सबक होता है और हर दुःख से हमें कुछ न कुछ नया सीखने का अवसर देता है।

दिन बितते गए और रामचंद्र ने अपने दुखों को स्वीकार किया और समय के साथ उनसे सीखा। उन्होंने दूसरों की मदद करते हुए आत्मसंतुष्टि प्राप्त की और खुद को सभी दुःखों से मुक्त पाया। रामचंद्र के दुःखों ने उन्हें बहुत सी सीखें देने के बावजूद, उन्होंने कभी अपनी आदतों से हार नहीं मानी और इसीलिए उन्हें संयम, सामर्थ्य और धैर्य विकसित करने में मदद मिली।

इस कहानी से हमें यह सबक सीखना चाहिए कि

प्रतिस्पर्धा और दुःख एक नैतिक संघर्ष होता है, जिससे हमें न सिर्फ अपनी आदतों को सँवारने का मौका मिलता है, बल्कि हमें बढ़ने और बदलने का अवसर भी मिलता है।