Panchatantra Story for kids: The Majority Of Fools Story In Hindi
मूर्खों की कहानी
एक बार की बात है, एक गाँव में बहुत सारे मूर्ख रहते थे। एक दिन, उन्होंने यह सुन लिया कि राजा एक बड़ा पुरस्कार दे रहा है जो सबसे मूर्ख व्यक्ति को ढूंढ सकता है। मूर्खों ने सोचा कि यह उनके लिए एक मौका है कि वे अपनी चतुराई दिखाएं और पुरस्कार जीतें।वे सभी राजा के पास गए और अपनी-अपनी मूर्खता दिखाने लगे।
एक मूर्ख ने अपने सिर पर एक बाल्टी रख ली और कहा, “मैंने यह बाल्टी इसलिए रखी है ताकि मेरा दिमाग बाहर न निकल जाए।” दूसरे मूर्ख ने अपने पैरों में जूते पहन लिए और कहा, “मैंने ये जूते इसलिए पहने हैं ताकि मेरे पैर न भाग जाएं।” तीसरे मूर्ख ने अपनी आंखों पर चश्मा लगा लिया और कहा, “मैंने ये चश्मा इसलिए लगाए हैं ताकि मैं अपने विचार न देख सकूं।
“राजा सभी मूर्खों को देख रहा था और वह हंस रहा था। उसने सोचा कि सभी मूर्ख बहुत मूर्ख हैं और यह तय करना मुश्किल है कि कौन सबसे मूर्ख है।
अंत में, राजा ने सभी मूर्खों को पुरस्कार देने का फैसला किया। उसने कहा, “आप सभी इतने मूर्ख हैं कि मैं यह तय नहीं कर सकता कि कौन सबसे मूर्ख है।
इसलिए, मैं आप सभी को एक समान पुरस्कार दूंगा।”राजा ने सभी मूर्खों को एक-एक सोने का सिक्का दिया। मूर्ख बहुत खुश थे। उन्होंने सोचा कि वे कितने चतुर हैं कि वे राजा के पुरस्कार जीतने में सफल रहे।मूर्खों ने सोने के सिक्के लेकर गाँव वापस चले गए।
उन्होंने सिक्कों को दिखाया और सभी को बताया कि उन्होंने कैसे राजा को मूर्ख बनाया और पुरस्कार जीता। गाँव के सभी लोग मूर्खों की चतुराई से प्रभावित हुए।
तब से, गाँव में एक कहावत प्रचलित हुई: “बुद्धिमानों से ज्यादा मूर्ख होते हैं।”
Moral of the story:
Don’t be too smart for your own good.