Brahmani Aur Til Ke Beej In Hindi kahani|ब्राह्मणी और तिल के बीज पंचतंत्र की कहानी
एक समय की बात है, एक गाँव में ब्राह्मण रहता था जिसका नाम श्रीदेव था। वह बहुत ही साहसी और ज्ञानी था।
एक दिन, उसने गाँव के बच्चों को सिखाने के लिए एक कहानी बताने का निर्णय किया।
श्रीदेव ने बच्चों से पूछा, “क्या तुम जानते हो कि तिल और ब्राह्मणी के बीज में क्या अंतर है?”
बच्चे हैरान रह गए और उनमें से एक ने उत्तर दिया, “नहीं, हमें नहीं पता।”श्रीदेव ने हंसते हुए कहा, “देखो, तुम्हें यह जानकर हैरानी होगी कि ब्राह्मणी और तिल के बीज में कोई अंतर नहीं होता।
जैसे ही तिल का पौधा उगता है, वैसे ही ब्राह्मणी का पौधा भी उगता है। ज्ञान और समझ का प्रतीक है कि हर किसी को अच्छे गुणों से भरपूर बनने का अधिकार है।”
इस कहानी से बच्चे नहीं सिर्फ ज्ञान प्राप्त करते हैं बल्कि यह उन्हें यह सिखाती है कि सभी में समानता होती है और अच्छे गुणों का विकास करना महत्वपूर्ण है।