चुहिया के स्वयंवर की कहानी,
एक समय की बात है, एक गाँव में एक सुंदर चुहिया रहती थी। वह बहुत बुद्धिमान और दयालु थी।
एक दिन, एक बाज उसे अपने पंजे में उठाकर ले गया। बाज उसे एक मंदिर के पास ले गया और उसे छोड़ने वाला था, तभी एक ऋषि ने उसे देखा।
ऋषि ने चुहिया को बचाया और उसे अपने आश्रम में ले गए।ऋषि ने चुहिया को बहुत प्यार से पाला-पोसा। वह उसे पढ़ाई-लिखाई सिखाते थे। चुहिया बहुत मेहनती थी और जल्द ही वह बहुत पढ़ी-लिखी हो गई।
ऋषि ने चुहिया को एक मानवी रूप दिया। चुहिया अब एक सुंदर लड़की लग रही थी।ऋषि की पत्नी को चुहिया बहुत पसंद आ गई। वह उसे अपनी बेटी मानने लगी। चुहिया भी ऋषि के परिवार के साथ बहुत खुश थी।
एक दिन, ऋषि की पत्नी ने चुहिया से कहा, “बेटी, अब तुम विवाह योग्य हो गई हो। तुम्हारे लिए एक सुयोग्य वर चाहिए।”चुहिया ने कहा, “माँ, मैं भी विवाह करना चाहती हूँ, लेकिन मेरे लिए एक ऐसा वर चाहिए जो बुद्धिमान, दयालु और शक्तिशाली हो।”
ऋषि की पत्नी ने चुहिया के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया। उन्होंने पूरे जंगल में संदेश भेजा कि कोई भी बुद्धिमान, दयालु और शक्तिशाली चूहा चुहिया से विवाह करना चाहता है तो वह स्वयंवर में आए।स्वयंवर के दिन, जंगल के सभी चूहे ऋषि के आश्रम में आ गए। वे सभी चुहिया से विवाह करना चाहते थे।
चुहिया ने सभी चूहों को एक परीक्षा दी। उसने कहा, “जो भी चूहा इस परीक्षा को पास करेगा, उससे मैं विवाह करूंगी।”परीक्षा में चूहों को एक पहेली हल करनी थी। पहेली थी, “मैं ऐसा कौन सा प्राणी हूँ जो रात में बाहर निकलता है, लेकिन सूर्योदय होते ही छिप जाता है?”कुछ चूहे तो पहेली ही नहीं समझ पाए।
कुछ चूहों ने गलत उत्तर दिए। लेकिन एक चूहा था जिसका नाम था “राजा”। राजा बहुत बुद्धिमान था। उसने पहेली सही हल कर दी।राजा के पास चुहिया से विवाह करने के लिए सब कुछ था। वह बुद्धिमान, दयालु और शक्तिशाली था।
इसलिए, चुहिया ने राजा से विवाह करने का फैसला किया।ऋषि ने चुहिया और राजा का विवाह करवाया। चुहिया और राजा बहुत खुश थे। उन्होंने एक साथ एक सुखी जीवन बिताया।
कहानी से सीख
हमें अपने लिए हमेशा एक ऐसे जीवनसाथी का चुनाव करना चाहिए जो बुद्धिमान, दयालु और शक्तिशाली हो।हमें अपने लक्ष्यों को पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।