एक समय की बात है, एक गांव में एक नीला सियार रहता था। वह बहुत ही बुद्धिमान और चालाक था। गांव के सभी जानवर उसे सम्मान देते थे क्योंकि वह अपनी चालाकी से हमेशा उनकी सहायता करता था।
एक दिन, वह अपने दोस्तों के साथ जंगल में खेल रहा था। खेलते-खेलते उसे एक बड़ी घाव लग गई। वह अपने दोस्तों से डर गया और भाग कर जंगल में छिप गया।सियार ने सोचा, “मैं गांव वालों के सामने ऐसा कैसे आउंट करूं कि मुझे कोई न जाने?” तभी उसको एक विचार आया। वह जंगल में एक बड़ा भींड़ मिला।
सियार ने उसकी शरारत ने अपनी रंग-बिरंगी रंगत देखी। उसने सोचा कि यही मौका है।सियार ने भींड़ के पास गया और गांव की जगह उसकी दुष्टता से भरी आंखों के सामने रोने लगा।
भींड़ को तरस आया और उसने सियार को अपने साथ गांव ले जाने के लिए कहा।जब भींड़ और सियार गांव पहुंचे, लोग उन्हें चमत्कार समझ बैठे। उन्होंने सियार को गांव का नया राजा घोषित किया।
सियार ने गांव में अपनी स्थिति बदल दी और वह राजा की भूमिका निभाने लगा। परंतु, उसका अहंकार बढ़ गया। वह अपने दोस्तों को भी अब अनदेखा करने लगा।
कुछ दिनों बाद, एक विद्वान् ब्राह्मण गांव में आया और सियार की असलीता को पहचान लिया। सियार को गांव से निकाल दिया गया और लोगों ने पछताया कि उन्होंने कितना बड़ा भूल किया था।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अहंकार का अंत अवश्य होता है और हमें हमेशा ईमानदार रहना चाहिए।