जंगल की गहराइयों में, एक बार एक शेर और एक खरगोश रहते थे। शेर वास्तव में अपने जंगल का बादशाह था।
उसका सिंहासन बहुत ऊँचा था और वह अपने राज्य को पूरी शक्ति और गर्व से नियंत्रित करता था।
दूसरी ओर, खरगोश निर्दोष और खुशमिजाज था, जो कि जंगल के छोटे-मोटे दिलचस्प गलियारों में अपने छोटे-मोटे घर में रहता था।
एक दिन, शेर की दृष्टि एक खरगोश पर पड़ी। उसे देखकर शेर ने सोचा, “यह कितना आसान होगा इस छोटे से जानवर को पकड़ना।” और उसने खरगोश को अपना शिकार बनाने का फैसला किया।
शेर ने खरगोश को चुनौती दी, “तुम्हें अपने तेज़ कदमों से एक मील की दूरी पर पहुँचकर अपनी मजबूती का सबूत दिखाना होगा।”खरगोश ने शेर के इस चुनौती को स्वीकार किया। उसने शेर से कहा, “आप मेरे लिए कितनी भी दूरी तय कर सकते हैं, मैं आपको दिखा सकता हूँ कि मैं भी किसी चुनौती का सामना कर सकता हूँ।”
शेर और खरगोश की लड़ाई का समय आ गया। शेर अपनी शक्तिशाली दौड़ के साथ लड़ने के लिए तैयार था, जबकि खरगोश ने अपनी चाल से प्रयास किया।
शेर ने तेज दौड़ में खुद को खो दिया, जबकि खरगोश ने अपनी चाल को समझकर समय पर लक्ष्य तक पहुँच गया।खरगोश ने देखा कि शेर अब भी दौड़ रहा है, लेकिन वह अपना लक्ष्य पूरा कर चुका है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अक्सर हमारी चालाकी और समय का सदुपयोग हमें उस स्थिति में जीत का दरवाज़ा खोल सकता है,
जहाँ हमें शायद ही कोई और तरीका दिखाई दे। खरगोश की यह बुद्धिमत्ता और शेर की तेज दौड़ की दिखाई गई हार एक महत्वपूर्ण सबक है।