सियार और जादुई ढोल | The Jackal And The Drum Story In Hindi

सियार और जादुई ढोल | The Jackal And The Drum Story In Hindi

**सियार और जादुई ढोल**

एक समय की बात है, एक जंगल में एक भूखा सियार घूम रहा था। उसे कई दिनों से कुछ खाने को नहीं मिला था। भूख से तड़पते हुए वह भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था।

अचानक उसे एक ढोल की आवाज़ सुनाई दी।सियार ने सोचा, “आह! यह आवाज़ तो किसी बड़े जानवर की हो सकती है। शायद उसके पास बहुत सारा भोजन हो।

अगर मैं उस जानवर को मार दूँ, तो मुझे बहुत सारा खाना मिल जाएगा।” यह सोचकर वह उस आवाज़ की दिशा में चल पड़ा।जंगल के बीचोंबीच एक पेड़ के नीचे एक बड़ा ढोल पड़ा था।

हवा चलने से पेड़ की शाखाएँ ढोल पर टकरा रही थीं और उससे आवाज़ निकल रही थी। सियार ने ध्यान से देखा और समझ गया कि यह आवाज़ ढोल से आ रही है, न कि किसी जानवर से।सियार के मन में एक तरकीब सूझी। उसने सोचा, “अगर मैं इस ढोल को बजाऊं, तो बाकी जानवर डर जाएंगे और यहाँ से भाग जाएंगे।

फिर मैं आराम से उनके पीछे जाकर उन्हें पकड़ सकता हूँ।” उसने ऐसा ही किया। सियार ने ढोल को ज़ोर-ज़ोर से बजाना शुरू कर दिया।

ढोल की तेज़ आवाज़ सुनकर जंगल के अन्य जानवर सचमुच डर गए और वहाँ से भाग खड़े हुए। सियार ने उनकी ओर देखा और अपने शिकार को पकड़ने के लिए दौड़ पड़ा। वह जानवरों के पीछे भागता रहा, लेकिन उसकी भूख और थकान के कारण वह उन्हें पकड़ नहीं सका।

अंत में, सियार थक-हार कर एक पेड़ के नीचे बैठ गया और सोचने लगा, “मैंने बेवकूफी की। मुझे ढोल की आवाज़ से धोखा हुआ और मैंने अपनी ऊर्जा व्यर्थ गवा दी।” उसने यह सबक सीखा कि हर चीज़ को ध्यान से देखना और समझना चाहिए, बिना सोचे-समझे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचना चाहिए।

इस प्रकार, सियार को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने आगे से सावधानी बरतने का निश्चय किया।

**कहानी का शिक्षा:**

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बिना सोचे-समझे किसी चीज़ पर विश्वास नहीं करना चाहिए और हर स्थिति का सही मूल्यांकन करना चाहिए।