यह एक पुरानी भारतीय कहानी है जो हमें समझदारी और सतर्कता का महत्व सिखाती है।
**ब्राह्मण और तीन ठग**
किसी गाँव में एक ब्राह्मण रहता था। एक बार उसे यज्ञ में एक बकरी उपहार में मिली। वह बकरी को अपने कंधे पर रखकर अपने घर की ओर चल पड़ा।
रास्ते में तीन ठगों ने उसे देखा और उन्होंने उसकी बकरी चुराने की योजना बनाई। पहला ठग ब्राह्मण के पास गया और बोला, “हे ब्राह्मण देवता, यह क्या कर रहे हो?
आप अपने कंधे पर एक कुत्ते को क्यों ले जा रहे हो?” ब्राह्मण ने उसे नजरअंदाज किया और आगे बढ़ गया।कुछ दूरी पर दूसरा ठग मिला।
उसने कहा, “ब्राह्मण जी, आप इस मृत बछड़े को अपने कंधे पर क्यों ढो रहे हैं?” ब्राह्मण थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन फिर भी चलता रहा।थोड़ी दूर पर तीसरा ठग मिला।
उसने कहा, “ब्राह्मण जी, आप इस गधे को अपने कंधे पर क्यों ढो रहे हैं? क्या आपको पता नहीं कि यह एक गधा है?” अब ब्राह्मण को संदेह हुआ कि उसके पास वास्तव में बकरी नहीं, कुछ और ही है।
उसने बकरी को नीचे उतारा और देखा कि यह वास्तव में एक बकरी ही थी।
लेकिन ठगों के बार-बार बोलने से वह भ्रमित हो गया और बकरी को वहीं छोड़कर चला गया। ठगों ने अपनी चालाकी से बकरी को चुरा लिया।
**कहानी से शिक्षा:**
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और किसी भी चीज़ को बिना जांचे-परखे नहीं मानना चाहिए। दूसरों की बातों में आकर खुद की समझ को नहीं खोना चाहिए।