लड़ती बकरियां और सियार की कहानी
किसी जंगल के किनारे एक गांव में दो बकरियां रहती थीं। दोनों बकरियां बहुत चंचल और जिद्दी थीं।
एक दिन, नदी पर बने एक संकरे पुल पर दोनों आमने-सामने आ गईं। पुल इतना तंग था कि उसमें से एक समय में सिर्फ एक ही जानवर गुजर सकता था।
दोनों बकरियां जिद पर अड़ गईं और सोचने लगीं, “मैं पहले जाऊंगी।”
किसी ने रास्ता देने की सोची ही नहीं। गुस्से में आकर दोनों ने लड़ाई शुरू कर दी। वे अपने सिंगों से एक-दूसरे पर वार करने लगीं।लड़ाई इतनी तेज थी कि दोनों का संतुलन बिगड़ गया और वे नदी में गिर पड़ीं।
नदी गहरी थी और तेज बहाव के कारण दोनों बकरियां अपनी जान नहीं बचा सकीं।पास ही एक सियार यह सब देख रहा था।
उसने मन ही मन सोचा, “यदि ये दोनों समझदारी से काम लेतीं और एक-दूसरे को रास्ता दे देतीं, तो बच जातीं। लेकिन अब यह मूर्खता इनके जीवन का अंत बन गई।
“कहानी से शिक्षा:
आपसी सहयोग और समझदारी से काम लेना ही सबसे बेहतर होता है। जिद और झगड़े का परिणाम हमेशा बुरा होता है।