मेंढक और बैल की कहानी
एक बार की बात है, एक तालाब में मेंढकों का झुंड रहता था। एक दिन, तालाब के पास एक बड़ा और ताकतवर बैल घास चरने आया। सभी मेंढकों ने उसे देखा और उसकी विशाल काया से बहुत प्रभावित हुए।
उनमें से एक छोटा मेंढक बैल की ताकत और आकार से जलन महसूस करने लगा। उसने अपने साथियों से कहा, “मैं भी इतना बड़ा और ताकतवर बन सकता हूँ।”वह मेंढक अपना शरीर फुलाने लगा।
उसने गहरी सांस ली और पूछा, “क्या मैं बैल जितना बड़ा दिख रहा हूँ?”साथी मेंढकों ने कहा, “नहीं, तुम अभी भी छोटे हो।”मेंढक ने फिर से सांस ली और अपना शरीर और फुलाया। उसने फिर पूछा, “अब क्या मैं बड़ा लग रहा हूँ?”साथी मेंढकों ने कहा, “नहीं, अभी भी नहीं।”उसमेंढक ने हठ नहीं छोड़ा और बार-बार अपने शरीर को फुलाने की कोशिश की।
अंततः, उसने इतनी जोर लगाई कि उसका शरीर फट गया और वह मर गया।
कहानी से शिक्षा:अहम् और ईर्ष्या में पड़कर अपनी सीमाओं से बाहर जाने की कोशिश करना नुकसानदायक हो सकता है। अपनी क्षमता और सीमाओं को समझकर ही हमें कार्य करना चाहिए।