विक्रम बेताल की कहानी: अपराधी कौन?(बेताल पच्चीसी की तेरहवीं कथा)
राजा विक्रमादित्य बेताल को अपने कंधे पर लादकर स्मशान घाट की ओर चल दिए। बेताल ने कहा, “राजन, रास्ता लंबा है, इसलिए मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। लेकिन याद रहे, अगर तुमने मेरे प्रश्न का उत्तर दिया, तो मैं उड़ जाऊंगा।”
कहानी शुरू होती है:
एक नगर में चंद्रसेन नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में एक व्यापारी था जिसका नाम था धनगुप्त। धनगुप्त बहुत धनी और प्रतिष्ठित था। उसकी एक सुंदर और बुद्धिमान पत्नी थी।एक दिन, धनगुप्त व्यापार के सिलसिले में बाहर गया। तभी एक साधु उसके घर आया। वह साधु देखने में बहुत तेजस्वी था। साधु ने धनगुप्त की पत्नी को मोहित करने के लिए तंत्र-मंत्र का प्रयोग किया और उसे अपने साथ अपने आश्रम में ले गया।कुछ समय बाद, धनगुप्त घर लौटा और अपनी पत्नी को घर पर न पाकर दुखी हुआ। उसने सारी बात जानने के बाद राजा के दरबार में जाकर न्याय की गुहार लगाई। राजा ने सैनिकों को साधु के आश्रम में भेजा। लेकिन जब सैनिक वहां पहुंचे, तो उन्होंने साधु और व्यापारी की पत्नी, दोनों को मृत पाया।
इस हत्या के लिए तीन लोग संदिग्ध थे:
1. धनगुप्त (व्यापारी) – अपनी पत्नी को खोने के गम में उसने हत्या कर दी हो।
2. साधु का शिष्य – जो साधु से ईर्ष्या करता था और उसकी संपत्ति पाना चाहता था।
3. धनगुप्त की पत्नी का भाई – जो अपनी बहन के इस व्यवहार से नाराज था और उसकी प्रतिष्ठा बचाने के लिए हत्या कर सकता था।
बेताल का प्रश्न:
बेताल ने पूछा, “राजन, इन तीनों में से असली अपराधी कौन है? ध्यान रहे, यदि सही उत्तर जानते हुए भी तुमने चुप्पी साधी, तो तुम्हारा सिर टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा।”
राजा विक्रम का उत्तर:
राजा विक्रमादित्य ने विचार किया और बोले, “साधु का शिष्य असली अपराधी है। धनगुप्त अपनी पत्नी से प्रेम करता था और उसकी हत्या नहीं कर सकता था। धनगुप्त की पत्नी का भाई अपनी बहन की प्रतिष्ठा को बचाना चाहता था, लेकिन वह हत्या करने का इच्छुक नहीं था। साधु का शिष्य ही वह व्यक्ति है, जिसने साधु से ईर्ष्या के कारण उसकी हत्या कर दी और व्यापारी की पत्नी को भी मार डाला ताकि उसकी चाल का कोई गवाह न रहे।”बेताल ने उत्तर सुनकर कहा, “राजा, तुमने सही उत्तर दिया, लेकिन तुमने अपनी वाणी तोड़ी, इसलिए मैं फिर से उड़ रहा हूं!” इतना कहकर बेताल उड़कर पेड़ पर चला गया।और इस तरह राजा विक्रम को बेताल को पकड़ने का प्रयास फिर से करना पड़ा।