विक्रम-बेताल की कहानी: पत्नी किसकी?
राजा विक्रमादित्य और बेताल की कहानियाँ रोचक और शिक्षाप्रद होती हैं। उनमें से एक कहानी “पत्नी किसकी?” है।
आइए इसे जानते हैं:—
एक समय की बात है, एक नगर में तीन मित्र रहते थे। तीनों एक सुंदर कन्या से प्रेम करते थे। दुर्भाग्यवश, उस कन्या की अचानक मृत्यु हो गई। तीनों मित्र अत्यंत दुखी हो गए।तीनों ने अलग-अलग तरीकों से अपनी श्रद्धांजलि दी:
1. पहला मित्र – उसने कन्या के शरीर की चिता के पास बैठकर तपस्या शुरू कर दी।
2. दूसरा मित्र – उसने उसके अवशेष एकत्र किए और उसे गंगा में विसर्जित कर दिया।
3. तीसरा मित्र – उसने वन में जाकर कठिन साधना की और एक ऐसा मंत्र प्राप्त किया जिससे मृत व्यक्ति को जीवित किया जा सकता था।तीसरे मित्र ने मंत्र का प्रयोग करके उस कन्या को पुनः जीवित कर दिया। अब समस्या यह हुई कि तीनों मित्र दावा करने लगे कि वह कन्या उनकी पत्नी होनी चाहिए।बेताल ने राजा विक्रम से पूछा, “बताइए, उस कन्या की पत्नी किसकी होनी चाहिए?”—
राजा विक्रम ने उत्तर दिया:
“वह कन्या उस मित्र की पत्नी होनी चाहिए जिसने उसे पुनः जीवित किया।”बेताल ने यह उत्तर सुनकर कहा, “राजा, आप न्यायप्रिय हैं।” और फिर वह पेड़ की ओर लौट गया।—
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कर्म और योगदान का मूल्य समझना चाहिए।