विक्रम और बेताल की कहानी: सबसे अधिक साहसी कौन?
यह कहानी राजा विक्रमादित्य और बेताल के संवाद का एक और रोचक हिस्सा है। बेताल ने एक बार राजा विक्रमादित्य से यह सवाल पूछा:
कहानी का सारांश:
एक नगर में तीन मित्र थे: एक ब्राह्मण, एक क्षत्रिय और एक वैश्य। तीनों के अलग-अलग गुण थे:
1. ब्राह्मण ज्ञान और धार्मिकता में निपुण था।
2. क्षत्रिय युद्ध और पराक्रम में प्रवीण था।
3. वैश्य व्यापार और धन अर्जित करने में माहिर था।तीनों मित्रों को एक बार जंगल में एक खजाना मिला। लेकिन उस खजाने की रक्षा एक भयंकर दैत्य कर रहा था। दैत्य ने कहा कि जो भी इसे लेना चाहेगा, उसे पहले उसका सामना करना होगा।
ब्राह्मण ने कहा, “मैं बुद्धिमान हूँ, लेकिन यह मेरे लिए उचित नहीं कि मैं अपने ज्ञान का दुरुपयोग करूं।”वैश्य ने कहा, “मुझे अपने धन से प्रेम है, लेकिन मैं अपने प्राणों को खतरे में नहीं डाल सकता।”क्षत्रिय ने कहा, “मेरा धर्म ही साहस और पराक्रम है। मैं इस दैत्य का सामना करूंगा।”क्षत्रिय ने अपने साहस से दैत्य का सामना किया और उसे पराजित कर दिया। खजाना तीनों ने मिलकर बाँट लिया।
बेताल का प्रश्न:
“इन तीनों में सबसे अधिक साहसी कौन है?”
राजा विक्रमादित्य का उत्तर:
राजा ने उत्तर दिया, “इन तीनों में क्षत्रिय सबसे अधिक साहसी है। क्योंकि उसने अपने धर्म का पालन करते हुए अपनी जान की परवाह किए बिना दैत्य का सामना किया। साहस वही है, जो अपने धर्म, कर्तव्य और आदर्शों के लिए जोखिम उठाए।”
बेताल राजा के उत्तर से संतुष्ट हुआ, लेकिन अपनी चाल चलते हुए फिर पेड़ पर लौट गया।शिक्षा:यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा साहस वही है, जब हम अपने कर्तव्य और आदर्शों के लिए खतरों का सामना करें, भले ही वह हमारे लिए कठिन हो।