एक बार की बात है, एक छोटे से राज्य में एक प्यारी सी राजकुमारी रहती थी जिसका नाम राधा था। राधा बहुत ही खुशमिजाज और दयालु थी।
उसके पास बहुत सारे खिलौने थे, लेकिन उसका सबसे पसंदीदा खिलौना एक चांद के आकार का खिलौना था। यह खिलौना चमचमाता था और रात में हल्की सी रोशनी बिखेरता था। राधा इसे अपने साथ हर जगह ले जाती थी। जब भी वह उदास होती या अकेला महसूस करती, वह अपने चांद खिलौने को देखकर खुश हो जाती।
एक दिन, राजकुमारी राधा अपने महल के बगीचे में खेल रही थी। अचानक, एक जोरदार हवा का झोंका आया और उसका चांद खिलौना उड़कर पास के जंगल में गिर गया। राधा बहुत परेशान हो गई और उसने अपने सेवकों को उसे ढूंढने के लिए भेजा, लेकिन वे असफल रहे।राधा ने तय किया कि वह खुद अपने खिलौने को ढूंढेगी।
वह अकेली ही जंगल की ओर चल पड़ी। चलते-चलते वह थक गई और एक बड़े पेड़ के नीचे बैठ गई। तभी, उसकी नजर एक छोटे से घर पर पड़ी जो पेड़ों के बीच छिपा हुआ था। राधा ने साहस जुटाकर उस घर के दरवाजे पर दस्तक दी। दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि अंदर एक बूढ़ी औरत बैठी थी।
राधा ने उसे अपनी समस्या बताई और खिलौने के बारे में पूछा। बूढ़ी औरत ने मुस्कुराते हुए कहा, “प्यारी बच्ची, मैं जानती हूँ कि तुम्हारा खिलौना कहाँ है।”बूढ़ी औरत ने राधा को अपने साथ एक गुफा में चलने के लिए कहा। गुफा में पहुंचकर, राधा ने देखा कि वहां पर उसका चांद खिलौना चमचमा रहा था।
उसने खुशी-खुशी अपना खिलौना उठाया और बूढ़ी औरत का धन्यवाद किया।बूढ़ी औरत ने कहा, “याद रखना, सच्ची खुशी अंदर से आती है।
यह खिलौना तुम्हारे लिए खास है, लेकिन असली खुशी तुम्हारे दिल में है।”राधा ने बूढ़ी औरत की बातों को समझा और उसने अपने खिलौने को और भी अधिक प्यार किया। वह सुरक्षित महल लौट आई और अपनी कहानी सबको सुनाई।
इस घटना के बाद, राधा और भी समझदार और दिल से खुश रहने लगी।
और इस तरह, राजकुमारी राधा और उसका चांद खिलौना हमेशा के लिए खुशी के प्रतीक बन गए।