“हंसेल और ग्रेटल” (Hansel and Gretel) दो बच्चों की कहानी है, जो जर्मन लोककथाओं में बहुत प्रसिद्ध है। यह कहानी भाइयों ग्रिम द्वारा संग्रहित की गई थी। यहाँ इस कहानी का सारांश हिंदी में दिया गया है:—
**कहानी का सारांश:**
एक समय की बात है, एक लकड़हारे की पत्नी का निधन हो गया। उसने दूसरी शादी की और उसकी नई पत्नी बहुत ही क्रूर और स्वार्थी थी। लकड़हारे के दो बच्चे थे – हंसेल और ग्रेटल। लकड़हारे की नई पत्नी उन्हें पसंद नहीं करती थी और हमेशा उन्हें घर से बाहर निकालने के बारे में सोचती रहती थी।
एक दिन, जब परिवार के पास खाने को कुछ भी नहीं था, सौतेली मां ने लकड़हारे से बच्चों को जंगल में छोड़ आने की योजना बनाई। बहुत मन मारकर लकड़हारे ने उसकी बात मान ली। बच्चों ने यह बात सुन ली और हंसेल ने अपने पास कुछ सफेद कंकड़ियाँ रख लीं।
जब वे जंगल में जा रहे थे, हंसेल ने कंकड़ियों को रास्ते में गिराना शुरू कर दिया ताकि वे वापस घर आ सकें।जंगल में जाकर, लकड़हारा और उसकी पत्नी बच्चों को छोड़कर चले गए। रात को, चाँद की रोशनी में कंकड़ियाँ चमकने लगीं और हंसेल और ग्रेटल वापस घर पहुँच गए।
लेकिन उनकी सौतेली मां ने फिर से उन्हें जंगल में छोड़ने की योजना बनाई, और इस बार हंसेल के पास कंकड़ियाँ नहीं थीं, इसलिए उसने ब्रेड के टुकड़े रास्ते में गिराए। लेकिन पक्षियों ने उन टुकड़ों को खा लिया और बच्चे रास्ता नहीं खोज पाए।
भटकते-भटकते, वे एक मिठाई के घर तक पहुँच गए। घर की दीवारें केक की बनी थीं, खिड़कियाँ चीनी की, और छत चॉकलेट की थी। बच्चे भूख से बेहाल थे और खाने लगे। तभी घर की मालकिन, जो कि एक चुड़ैल थी, बाहर आई और बच्चों को घर के अंदर बुलाया।
उसने बच्चों को अंदर बंद कर दिया। उसका इरादा हंसेल को मोटा कर खाने का था, जबकि ग्रेटल को उससे काम कराना था।हर दिन चुड़ैल हंसेल को खाना खिलाती और उसका वजन चेक करती।
एक दिन, जब चुड़ैल ने हंसेल को पकाने का निश्चय किया, ग्रेटल ने चुड़ैल को धक्का देकर भट्टी में गिरा दिया। चुड़ैल जलकर मर गई और बच्चे उसके घर से सोना-चांदी लेकर भाग निकले।
वे किसी तरह रास्ता ढूँढ़कर अपने घर पहुँच गए, जहाँ उनके पिता ने खुशी-खुशी उनका स्वागत किया। सौतेली मां की मौत हो चुकी थी और अब वे सब खुशी-खुशी रहने लगे।—
यह कहानी हमें सिखाती है कि साहस और बुद्धिमानी से हम किसी भी कठिनाई का सामना कर सकते हैं।