दिखावे की दुनिया
एक छोटे से गाँव में रामु नाम का एक युवक रहता था। रामु की एक आदत थी कि वह हमेशा अपने कामों का बखान करता रहता था।
गाँव के लोग उसकी इस आदत से तंग आ चुके थे, क्योंकि वह बड़े-बड़े वादे करता लेकिन उन्हें पूरा नहीं करता था।एक दिन गाँव में एक साधु बाबा आए।
साधु बाबा ने गाँव वालों से सुना कि रामु केवल बातें करता है, काम कुछ नहीं करता। साधु बाबा ने सोचा कि क्यों न रामु को एक सीख दी जाए।
साधु बाबा ने गाँव वालों को एकत्र किया और कहा, “कल सुबह मैं यहाँ एक चुनौती रखने वाला हूँ। जो भी इस चुनौती को पूरा करेगा, वह गाँव का सबसे श्रेष्ठ व्यक्ति माना जाएगा।” रामु को भी यह बात पता चली और उसने सोचा कि वह इस बार जरूर जीत जाएगा।
अगले दिन सुबह, साधु बाबा ने सभी को एक बगीचे में बुलाया और कहा, “यहाँ से दो मील दूर एक पहाड़ी है। जो सबसे पहले उस पहाड़ी पर जाकर वहाँ लगा ध्वज लेकर आएगा, वही विजेता होगा।”रामु ने बिना सोचे-समझे दौड़ना शुरू कर दिया।
वह इतना आत्मविश्वास से भरा था कि उसने रास्ते की कठिनाइयों की परवाह नहीं की। दूसरी ओर, एक अन्य युवक श्यामु, जो कम बोलता और ज्यादा काम करता था, उसने धैर्य और समझदारी से यात्रा की।
रामु ने जल्दबाजी में रास्ता भटक लिया और थकान से चूर हो गया। श्यामु ने स्थिरता और सावधानी से यात्रा की और अंततः पहाड़ी तक पहुँच गया। उसने ध्वज लिया और वापस गाँव आ गया।गाँव वालों ने श्यामु का स्वागत किया और उसे विजेता घोषित किया।
रामु ने अपनी हार मानी और समझा कि केवल बातें करने से कुछ नहीं होता, असली महत्व काम करने का है।
इस प्रकार, रामु को यह सीख मिली कि दिखावे की दुनिया में बातें नहीं, बल्कि कार्य ही महत्वपूर्ण होते हैं।