नटखट परी और जादुई गुफा की कहानी
एक बार की बात है, एक सुंदर और हरियाली से भरपूर जंगल के बीच में एक नटखट परी रहती थी। उसका नाम था तितलू। तितलू का स्वभाव बहुत ही चंचल था। वह हर समय मस्ती करने और दूसरों के साथ खेल-कूद करने में लगी रहती थी। उसकी शरारतों से पूरे जंगल के जानवर खुश भी रहते थे और कभी-कभी परेशान भी हो जाते थे।
एक दिन तितलू जंगल के गहरे कोने में घूम रही थी, जहां उसने एक रहस्यमय गुफा देखी। गुफा के बाहर एक चमकीली रोशनी हो रही थी, जो अंदर से आती लग रही थी। तितलू की जिज्ञासा बढ़ गई, और वह बिना किसी से पूछे गुफा के अंदर चली गई।
गुफा के अंदर का नज़ारा बिल्कुल अलग था। वहां जादुई पेड़-पौधे, चमकते हुए पत्थर, और अद्भुत प्राणी थे। गुफा के बीचों-बीच एक बड़ा सा जादुई झरना था, जिसकी बूंदें इंद्रधनुषी रंग में चमकती थीं। झरने के पास एक बूढ़ा जादूगर बैठा था, जो किसी किताब को पढ़ रहा था।
तितलू ने धीरे-से पूछा, “आप कौन हैं, और ये गुफा इतनी जादुई क्यों है?”
जादूगर मुस्कुराया और बोला, “मैं इस गुफा का रखवाला हूं। यह गुफा केवल उन्हीं के लिए खुलती है, जिनके दिल में सच्चाई और साहस हो। लेकिन तुम यहां क्यों आई हो?”
तितलू ने अपनी शरारती मुस्कान के साथ जवाब दिया, “मैं तो बस मस्ती के लिए आई थी। यह जगह बहुत सुंदर है।”
जादूगर ने कहा, “यह गुफा मस्ती के लिए नहीं है। यहां के हर जादुई चीज़ का एक उद्देश्य है। अगर तुमने इसे बिना सोचे-समझे छेड़ा, तो यह गुफा हमेशा के लिए बंद हो सकती है।”
तितलू ने वादा किया कि वह कुछ भी नुकसान नहीं पहुंचाएगी। लेकिन उसकी शरारती आदत ने उसे एक जादुई पौधे को छूने पर मजबूर कर दिया। जैसे ही उसने पौधे को छुआ, गुफा में हलचल मच गई। पत्थर हिलने लगे, और रोशनी मंद पड़ने लगी।
डरी हुई तितलू ने जादूगर से माफी मांगी। जादूगर ने कहा, “तुम्हारी सच्ची माफी और सुधारने की कोशिश गुफा को बचा सकती है।”
तितलू ने तुरंत अपने जादुई पंखों से झरने की बूंदें इकट्ठी कीं और उसे उस पौधे पर डाला। धीरे-धीरे गुफा शांत हो गई और फिर से चमकने लगी। जादूगर ने उसे सराहा और कहा, “तुमने साबित कर दिया कि शरारती होने के साथ-साथ तुममें साहस और सच्चाई भी है। अब तुम इस गुफा की दोस्त हो।”
उस दिन के बाद, तितलू और गुफा के बीच एक गहरा रिश्ता बन गया। तितलू ने वादा किया कि वह अब अपनी शरारतों का सही जगह पर और सही तरीके से उपयोग करेगी।
नैतिक शिक्षा:
सच्चाई और साहस से बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी सुलझाया जा सकता है।