कबूतर और शिकारी की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में कबूतरों का एक झुंड रहता था। वे सभी मिलजुल कर रहते और हर दिन खाना खोजने के लिए उड़ान भरते थे। उनका मुखिया एक बुद्धिमान और अनुभवशील कबूतर था।एक दिन, खाना खोजते-खोजते वे एक खेत में पहुंचे, जहां बहुत सारे दाने बिखरे हुए थे। सभी कबूतर खुश हो गए और उन दानों को खाने के लिए झपट पड़े। लेकिन उनके मुखिया ने उन्हें सावधान करते हुए कहा, “सावधान रहो, ये दाने ऐसे ही बिखरे हुए नहीं हो सकते।
यह किसी शिकारी का जाल भी हो सकता है।”लेकिन भूख के कारण बाकी कबूतरों ने उनकी बात नहीं मानी और दाने खाने लगे। जैसे ही वे दाने खाने लगे, शिकारी का जाल ऊपर से गिर गया और पूरा झुंड उसमें फंस गया।सभी कबूतर डर गए और इधर-उधर फड़फड़ाने लगे। तभी उनके मुखिया ने उन्हें शांत किया और कहा, “डरने की कोई जरूरत नहीं है। हमें मिलकर काम करना होगा। अगर हम सब एक साथ ताकत लगाएंगे, तो इस जाल को तोड़ सकते हैं।”सभी कबूतरों ने उनकी बात मानी और एक साथ अपने पंखों से जोर लगाया।
उनकी एकजुटता और मेहनत रंग लाई, और वे जाल को उठाकर हवा में उड़ गए। शिकारी यह देखकर हैरान रह गया।कबूतरों का झुंड उड़ते हुए एक चूहे के पास पहुंचा, जो उनका मित्र था। उन्होंने उसे अपनी परेशानी बताई। चूहे ने तुरंत अपने तेज दांतों से जाल को काट दिया, और सभी कबूतर आजाद हो गए।
शिक्षा:इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि एकता में बड़ी ताकत होती है। अगर हम मिलकर काम करें, तो किसी भी समस्या का हल निकाल सकते हैं।