विक्रम बेताल की अठारहवीं कहानी: ब्राह्मण कुमार की कथा / Vikram Betal Story Brahman Kumar Ki Ktha In Hindi

विक्रम और बेताल की कहानी:

ब्राह्मण कुमार की कथाप्राचीन समय में उज्जयिनी नगरी का राजा विक्रमादित्य न्यायप्रिय, वीर और धर्म के मार्ग पर चलने वाला राजा था। उसे अपनी बुद्धिमानी और साहस के लिए जाना जाता था।

एक बार, एक योगी ने राजा से कहा कि वह उसे सिद्धि प्राप्त करने के लिए श्मशान में एक पेड़ पर लटके हुए बेताल को लाने में सहायता करे। राजा ने इसे स्वीकार कर लिया।ब्राह्मण कुमार की कथाविक्रम ने बेताल को पकड़कर अपने कंधे पर रखा और श्मशान की ओर चलने लगे। लेकिन बेताल ने चालाकी से राजा का ध्यान भटकाने के लिए एक कहानी सुनानी शुरू की।

उसने राजा से कहा, “अगर तुमने मेरी कहानी का उत्तर दिया और वह सही हुआ, तो मैं वापस पेड़ पर चला जाऊंगा। अगर तुमने उत्तर नहीं दिया, तो तुम्हारा सिर फट जाएगा।”

बेताल ने कथा शुरू की:

एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था। उसका एक पुत्र था जो बहुत ही गुणवान और सुंदर था। ब्राह्मण के बेटे ने एक दिन वन में जाकर एक सुंदरी कन्या को देखा और उसे देखकर मंत्रमुग्ध हो गया। वह कन्या एक राजकुमारी थी। दोनों ने एक-दूसरे को मन से पति-पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।लेकिन दुर्भाग्यवश, कुछ समय बाद राजकुमारी की मृत्यु हो गई। ब्राह्मण कुमार अपनी पत्नी की याद में व्याकुल हो गया और हर दिन उसकी समाधि के पास जाकर बैठता।

एक दिन, उसके पास दो योगी आए। दोनों योगी आपस में बात कर रहे थे। एक योगी ने कहा कि उसके पास ऐसा मंत्र है जिससे मृत व्यक्ति को जीवित किया जा सकता है। दूसरा योगी बोला कि उसके पास ऐसा मंत्र है जिससे कोई भी स्थानांतरण कर सकता है।ब्राह्मण कुमार ने यह सब सुना और सोचने लगा कि इन मंत्रों का उपयोग कर अपनी पत्नी को जीवित किया जा सकता है। उसने चालाकी से मंत्र प्राप्त किए और अपनी पत्नी को पुनर्जीवित कर दिया।प्रश्नबेताल ने राजा से पूछा, “राजा, बताओ कि ब्राह्मण कुमार का यह कार्य सही था या गलत? क्या उसे ऐसा करना चाहिए था?”राजा विक्रम का उत्तरराजा विक्रम ने उत्तर दिया, “ब्राह्मण कुमार ने जो किया, वह प्रेम का परिणाम था।

वह अपनी पत्नी से सच्चा प्रेम करता था, इसलिए उसे जीवित करने का प्रयास करना स्वाभाविक था। लेकिन, किसी को भी किसी के स्वाभाविक जीवन-मृत्यु के चक्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह धर्म के विरुद्ध है।”राजा का उत्तर सुनकर बेताल हँसते हुए पेड़ पर वापस चला गया, और राजा को फिर से उसे पकड़ने के लिए जाना पड़ा।

निष्कर्ष

इस कहानी में सिखाया गया है कि प्रेम और नैतिकता के बीच संतुलन रखना चाहिए और प्रकृति के नियमों का सम्मान करना चाहिए।