बीरबल की खिचड़ी (birbal ki khichdi) की कहानी काफी मजेदार कहानी है। इस कहानी में बीरबल अपनी बुद्धि से बादशाह अकबर को अच्छी सीख दी। इसके साथ ही एक व्यक्ति को उसके काम का फल भी अकबर से दिलवाया।
बीरबल की खिचड़ी की कहानी काफी समय से पढ़ा जाता है और आज भी लोग इस कहानी को पढ़ते है और पसंद करते है।
बीरबल की खिचड़ी (birbal ki khichdi) के साथ ही बादशाह अकबर-बीरबल की कहानी भी काफी मजेदार होती है और लोग आज भी अकबर बीरबल की कहानी पढ़ते है।
बीरबल की खिचड़ी की कहानी Birbal ki khichdi
एक बार की बात है, राज्य में बहुत कड़ाके की ठंडी पड़ रही थी। एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, बीरबल! क्या कोई ऐसा इंसान हमारे राज्य में है जो इस ठंडी में पूरी रात पानी में बिता सके।
बीरबल ने कहा, जहांपनाह, ऐसे बहुत से लोग है। इस पर बादशाह बोले, मुझे यकीन नहीं हो रहा है।
बीरबल ने कहा ठीक है अब जैसी आप पर है ठीक है तो यह जैसी रिवर की स्पेलिंग गलत हो गई अब देखो, आप विश्वास करिये। ऐसे बहुत से लोग हमारे राज्य में है। जो बस कुछ पैसो के लिए कोई असंभव काम कर सकते है।
इस पर बादशाह अकबर बोले, ठीक आप हमें साबित करके दिखाए। बीरबल बोले मैंने साबित कर सकता हूँ।
अगले दिन बीरबल दरबार में एक धोबी को लेकर आए। बीरबल दरबार में सभी के सामने बोले, यह व्यक्ति सारा रात पानी में खड़ा रह सकता है।
इस पर दरबार में मौजूद लोगो को विश्वास नहीं हो रहा था। बादशाह अकबर बोले ठीक है। यह आज की रात हमारे महल के पीछे वाले तालाब में सारी रात खड़ा रहेगा।
इसके साथ ही यह आज हमारा सही मेहमान है। क्या पता कल यह जीवित हो या न हो।
बादशाह ने यह भी वादा किया कि अगर यह सारी रात इस ठण्ड में तालाब में खड़ा रहा सकता है तो इसे मैं कल ढेर सारा उपहार दुगा।
सारा दिन उस धोबी की खातिरदारी की गई। रात होते ही वह महल के पीछे वाले तालाब में जाकर खड़ा हो गया।
उसके आसपास कई सैनिक भी मौजूद थे जो उस धोबी पर नजर बनाये हुए थे। अगले दिन दरबार में बीरबल उस धोबी को अपने साथ लेकर आए।
उस धोबी को जिन्दा देख बादशाह अकबर भी सोच में पड़ जाते है। बादशाह अकबर सैनिक से पूछते है। क्या तुम सब ने इस पर कड़ी नजर रखी थी।
सैनिक ने कहा हां! जहांपनाह हमने इस पर कड़ी नजर बनाई रखी थी।
इस पर भी बादशाह अकबर को विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई इतनी ठंडी में सारी रात तालाब के पानी में खड़ा होकर बिता सके।
अपने मन के सवाल को बादशाह अकबर ने उस धोबी से ही पूछ ही दिया। जो धोबी उस तालाब में रात भर खड़ा था।
उस धोबी ने कहा, जहांपनाह! शुरू में मेरे लिए भी यह कठिन था। कुछ समय के बाद मुझे महल के पास जलता हुआ एक चिराग दिखा।
मैं उस जलते हुए चिराग को देख कर सारा रात पानी में रह गया।
यह सुनकर बादशाह अकबर को गुस्सा आ गया। उन्होंने कहा, तुमने हमारे चिराग की गर्मी को लेकर खुद को गर्म किया और इस तरह सारी रात नदी में बिताया।
मैं तुम्हे इसके लिए कड़ी से कड़ी सजा सुनाता पर मैं समझ सकता हु, कि इस कड़ाके की ठंड में तालाब में खड़ा रहना कितना मुश्किल है।
चलो मैंने तुम्हे कोई सजा नहीं देता हु और न ही मैं तुम्हे कोई उपहार दुगा। यह सब बीरबल को काफी बुरा लगा पर फिर भी वह उस समय कुछ नहीं बोले।
उन्होंने अपने मन में तय कर लिया की वह जरूर बादशाह अकबर से उस धोबी को उपहार दिवाएगे।
अगले दिन ही दरबार में बीरबल की काफी जरूरत थी। लेकिन दरबार में बीरबर नहीं थे। साथ ही उन्होंने अपने न आने का कारण भी नहीं बताया था।
कुछ समय इंतजार करने के बाद बादशाह अकबर खुद ही बीरबल के घर जा पहुंचे।
बीरबल के घर जाकर जो बादशाह अकबर ने देखा उन्हे उस पर विश्वास ही नहीं हुआ। बीरबल ने जमीन पर आग जला रखी थी।
उसके कुछ गज ऊपर एक पतीली में खिचड़ी का सामान रखा था। बीरबल खिचड़ी पकने का इंतजार कर रहे थे।
बादशाह अकबर ने बीरबर से कहा, तुम यह क्या कर रहे हो। क्या कभी इस तरह से तुम्हारी खिचड़ी पक सकती है।
खिचड़ी तक आग नहीं जा रही है और न धुआँ भी जा रहा है। इस पर बीरबल बोले, जहांपनाह! खिचड़ी जरूर पकेगी। आप दरबार में जाए, मैं खिचड़ी खाकर दरबार में आता हूँ।
बादशाह अकबर बोले तुम पागल हो गए हो क्या। इस तरह से कभी भी खिचड़ी नहीं पक सकती है। खिचड़ी को पकाने के लिए उसे सही मात्रा में गर्मी चाहिए।
बीरबर बोले, जहांपनाह! जब कई गज दूर जल रहा दिया किसी इंसान के शरीर को गर्म कर सकता है तो यहाँ पर तो खिचड़ी जरूर पकेगा। आप माने या फिर न माने।
अकबर को सब कुछ समझ में आ गया। उन्होंने बीरबल ने कहा, अब तुम मेरे साथ महल चलो। मैं उस व्यक्ति को उसका उपहार जरूर दुगा।
इसके बाद अकबर ने उस धोबी को उसे दे दिया। तभी से बीरबल की खिचड़ी (birbal ki khichdi) की कहानी प्रसिद्ध हो गई।