अलीबाबा और चालीस चोर एक प्रसिद्ध भारतीय और अरब कहानी है, जो “हजारों रातों की कहानी” (One Thousand and One Nights) में शामिल है।
यह कहानी एक साधारण लकड़हारे अलीबाबा की है, जो अपनी ईमानदारी और समझदारी से बड़ी मुश्किलों से जूझता है।
कहानी का सार:अलीबाबा एक गरीब लकड़हारा था, जो अपने छोटे से गाँव में अपने परिवार के साथ आराम से जीवन बिता रहा था।
एक दिन वह जंगल में लकड़ी काटने के लिए गया और वहाँ उसने देखा कि 40 लुटेरे एक गुफा में अपना खजाना छिपा रहे थे। ये लुटेरे अपनी गुफा का दरवाजा खोलने के लिए जादुई शब्दों का इस्तेमाल करते थे।
जब उन्होंने गुफा में प्रवेश किया, तो अलीबाबा ने सुना और उसे ध्यान से देखा। वह देखता है कि लुटेरे गुफा का दरवाजा खोलने के लिए बोलते हैं, “सीसमे, ओपन!” (Open Sesame), और गुफा का दरवाजा खुल जाता है।अलीबाबा ने यह गुप्त शब्द याद कर लिया और एक दिन जब वह गुफा तक पहुँचा, तो उसने वही शब्द बोला और गुफा का दरवाजा खोल लिया।
अंदर खजाने का अंबार था। उसने थोड़ी सी धनराशि घर लेकर आ गई, और पत्नी को बताया कि वह खजाना लुटेरों का है।अलीबाबा का भाई क़ासिम, जो कि थोड़ा लालची था, ने यह बात सुनी और गुफा में जाने का फैसला किया।
क़ासिम भी वही जादुई शब्द बोला और गुफा में प्रवेश किया। लेकिन वह खजाना देखकर बहुत लालच में आ गया और ज्यादा धन लेने के लिए गुफा में समय बिताने लगा। जब लुटेरे वापस लौटे, तो उन्होंने क़ासिम को गुफा में ही पकड़ लिया और उसे मार डाला।
अलीबाबा और उसकी पत्नी ने बड़े धैर्य से सब कुछ संभाला। बाद में एक महिला दासी, जिसने अलीबाबा की मदद की, ने लुटेरों के एक एक सदस्य को मात दी। अंत में, अलीबाबा ने चोरों से लड़कर अपने परिवार को बचाया और खजाने का सही उपयोग किया।
शिक्षा:इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि लालच और अविचारिता के कारण हमेशा नुकसान होता है, जबकि ईमानदारी और समझदारी से जीवन में सफलता मिलती है।
अलीबाबा की कहानी यह भी बताती है कि सच्चाई और अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करती है।