सिंधबाद जहाजी की पांचवीं समुद्री यात्रासिंधबाद की पांचवीं समुद्री यात्रा, अलिफ लैला की कहानियों में एक अद्भुत और रोमांचक किस्सा है।
इसमें सिंधबाद एक बार फिर अपनी किस्मत और साहस के सहारे समुद्री सफर पर निकलता है।कहानी का सारांश:सिंधबाद जहाजी व्यापार करने के लिए एक बार फिर समुद्री यात्रा पर निकलता है।
इस बार उसका जहाज बड़े और विचित्र समुद्रों को पार करता है। एक दिन उनका जहाज एक अजीबो-गरीब टापू पर पहुँचता है।
यह टापू बेहद सुंदर था, लेकिन इसमें रहस्यमयी सन्नाटा था। सिंधबाद और उसके साथी टापू पर उतरते हैं और वहां कुछ खाने-पीने का सामान इकट्ठा करने लगते हैं।उन्हें टापू पर एक विशाल पक्षी “रुख़” (Roc) के अंडे दिखाई देते हैं।
अज्ञानता में, साथी नाविक रुख़ के अंडों को नुकसान पहुंचा देते हैं। जब रुख़ पक्षी वापस आता है और अंडों को नष्ट हुआ देखता है, तो वह क्रोधित हो जाता है।
विशाल पक्षी अपने पंखों से हवा का जोरदार झोंका देता है और उनके जहाज पर बड़े-बड़े पत्थर गिराता है।इन पत्थरों से जहाज डूब जाता है, और सिंधबाद किसी तरह बचकर एक और अनजान टापू पर पहुँच जाता है।
इस टापू पर उसे दुर्लभ रत्नों और खजानों से भरे मैदान मिलते हैं।
हालांकि, वहां कई खतरनाक जानवर भी रहते हैं। सिंधबाद बड़ी चतुराई से इन खतरों का सामना करता है और समुद्री व्यापारियों की मदद से अपने वतन वापस लौट आता है।
शिक्षा:इस यात्रा से सिंधबाद को सीख मिलती है कि प्रकृति के नियमों का सम्मान करना चाहिए। यह कहानी साहस, जोखिम और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है।
संदेश:यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयों और खतरों का सामना धैर्य और साहस से करना चाहिए।
अलिफ लैला की कहानियां आज भी हमें रोमांचित करती हैं और जीवन में धैर्य और चतुराई का महत्व सिखाती हैं।