भूत की कहानी: औरत और लड़की की आत्मा
एक छोटे से गाँव में, घने जंगल के किनारे एक पुराना, खंडहर जैसा घर था। गाँव वाले कहते थे कि वहाँ एक औरत और एक लड़की की आत्मा भटकती है। उस घर के पास से गुजरने वाले अक्सर अजीब-अजीब आवाजें सुनते थे – कभी किसी के रोने की आवाज, तो कभी एक छोटी बच्ची की हंसी। लोग उस घर से डरते थे और सूरज ढलने के बाद वहाँ जाने की हिम्मत कोई नहीं करता था।
कहा जाता है कि सालों पहले उस घर में सुमन नाम की एक विधवा अपनी छोटी बेटी अनाया के साथ रहती थी। सुमन बहुत दयालु थी और हमेशा दूसरों की मदद करती थी। लेकिन उनकी जिंदगी में दुख का साया छाया हुआ था। गाँव के जमींदार ने उनके घर पर कब्जा करने की कोशिश की। जब सुमन ने इसका विरोध किया, तो जमींदार ने उन्हें धमकी दी।
एक रात, जब सुमन और अनाया घर में सो रही थीं, तब घर में आग लग गई। अगली सुबह जब लोग वहाँ पहुँचे, तो घर पूरी तरह जल चुका था। लेकिन सुमन और अनाया का कोई पता नहीं चला। गाँव वाले समझ गए कि यह जमींदार की करतूत थी, लेकिन सब डर के मारे चुप रहे।
उस घटना के बाद से उस घर में अजीब घटनाएँ होने लगीं। लोग कहते थे कि सुमन की आत्मा न्याय मांग रही है और अनाया की आत्मा अपनी माँ के साथ भटक रही है।
सालों बाद, गाँव में एक नौजवान पत्रकार, आदित्य, इस कहानी को सुनकर उस घर की सच्चाई जानने आया। वह उस खौफनाक रात को घर के अंदर गया। घर के अंदर की दीवारों पर जलने के निशान और सन्नाटा उसे डराने की कोशिश कर रहे थे। अचानक, उसे एक पुराने संदूक पर नजर पड़ी। जब उसने संदूक खोला, तो उसमें सुमन की डायरी और अनाया के कुछ खिलौने मिले।
डायरी में सुमन ने उस रात की पूरी कहानी लिखी थी। उन्होंने बताया था कि कैसे जमींदार ने उनके घर पर कब्जा करने के लिए आग लगाई थी। आदित्य ने वह डायरी गाँव के लोगों को दिखाई। जमींदार का सच सामने आ गया, और उसे सजा मिली।
जब न्याय हुआ, तो सुमन और अनाया की आत्मा को शांति मिली। अब उस घर से कोई डरावनी आवाजें नहीं आती थीं। गाँव वालों ने उस घर को सुमन और अनाया की याद में एक स्मारक बना दिया।
यह कहानी गाँव वालों के लिए एक सीख बन गई कि अन्याय के खिलाफ खड़ा होना जरूरी है और सच्चाई से बड़ी कोई ताकत नहीं। सुमन और अनाया की आत्मा हमेशा इस बात का प्रतीक रहेंगी कि न्याय और सच्चाई से ही आत्मा को मुक्ति मिलती है।