यह कहानी एक कबूतर और एक मधुमक्खी की है। एक बार की बात है, एक हरा-भरा जंगल था जिसमें एक कबूतर और मधुमक्खी रहते थे।
एक दिन मधुमक्खी पानी पीने के लिए एक नदी के पास गई। अचानक उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गई। मधुमक्खी तैरने में असमर्थ थी और डूबने लगी। उसने मदद के लिए पुकारा।
कबूतर ने मधुमक्खी की आवाज सुनी और उसकी मदद करने का निर्णय लिया। कबूतर ने तेजी से एक पेड़ की पत्ती तोड़ी और उसे नदी में फेंक दिया। मधुमक्खी ने उस पत्ती को पकड़ लिया और धीरे-धीरे नदी के किनारे तक पहुंच गई।
मधुमक्खी ने कबूतर को धन्यवाद दिया और उसकी मदद के लिए कृतज्ञता व्यक्त की। कुछ समय बाद, एक शिकारी जंगल में आया और उसने कबूतर को देखा। वह कबूतर को पकड़ने के लिए तैयार हो गया और उसने तीर धनुष निकाला।
यह देखकर मधुमक्खी तुरंत शिकारी की ओर उड़ी और उसे काट लिया। शिकारी दर्द से चीख उठा और तीर धनुष छोड़ दिया।
कबूतर इस मौके का फायदा उठाकर वहां से उड़ गया और अपनी जान बचा ली।इस प्रकार, कबूतर और मधुमक्खी ने एक दूसरे की मदद करके दोस्ती और सहानुभूति की मिसाल पेश की।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए, क्योंकि अच्छा कर्म हमेशा लौटकर आता है।