भूत की कहानी : भूत का भय | Bhoot Ka Bhay Story In Hindi

भूत का भयगांव के किनारे, एक पुराना खंडहर था जिसे लोग “भूतिया हवेली” कहते थे। कहते हैं कि उस हवेली में रात के समय अजीब-अजीब आवाजें आती थीं। कोई वहां जाने की हिम्मत नहीं करता था।

कहानी की शुरुआतरामू, जो एक साहसी नौजवान था, ने गांव वालों की बातों को मजाक समझा। वह कहने लगा, “ये सब मनगढ़ंत बातें हैं। मैं खुद जाकर देखूंगा कि इस हवेली में ऐसा क्या है।”

रामू ने एक रात, जब चांदनी खिली हुई थी, हवेली में जाने का निश्चय किया। गांव वालों ने उसे बहुत समझाया, पर वह नहीं माना।हवेली का रहस्यआधी रात को रामू टॉर्च लेकर हवेली में पहुंचा।

वहां का माहौल बहुत डरावना था। चारों ओर सन्नाटा, टूटी-फूटी दीवारें, और पेड़ों की टहनियों की सरसराहट। जैसे ही वह अंदर गया, उसे ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसकी परछाई का पीछा कर रहा है।

रामू ने हिम्मत दिखाते हुए कमरे की ओर कदम बढ़ाए। तभी अचानक एक खिड़की तेज आवाज के साथ बंद हो गई। रामू घबरा गया, लेकिन उसने सोचा, “मैं डरने वाला नहीं हूं।”भूत का सामनाजैसे ही वह हवेली के मुख्य कमरे में पहुंचा, उसने देखा कि एक सफेद साया हवा में लहरा रहा है। रामू के पसीने छूट गए।

वह डर के मारे चीखने ही वाला था कि वह साया हंसने लगा।तभी वह साया धीरे-धीरे रामू के पास आया और बोला, “डरो मत। मैं इस हवेली का रखवाला हूं। लोग मुझे भूत समझते हैं, लेकिन मैं सिर्फ उन लोगों को डराता हूं जो हवेली को नुकसान पहुंचाने आते हैं।”रामू ने डरते-डरते पूछा, “तो फिर लोग क्यों कहते हैं कि यहां अजीब-अजीब आवाजें आती हैं?”साया मुस्कुराया और बोला, “यह हवेली बहुत पुरानी है। खिड़कियों और दरवाजों की आवाजें, और हवा का बहाव, सब मिलकर ऐसा माहौल बनाते हैं।

मैं सिर्फ इसे सुरक्षित रखने के लिए यहां रहता हूं।”सबकरामू ने सच्चाई जानने के बाद गांव वापस आकर सबको बताया कि हवेली में कोई भूत नहीं है। लेकिन उसने यह भी कहा कि पुरानी जगहों का सम्मान करना चाहिए और बिना जरूरत वहां नहीं जाना चाहिए।गांव वालों ने रामू की बात मान ली और “भूतिया हवेली” का डर हमेशा के लिए खत्म हो गया।

निष्कर्ष: डर अक्सर हमारे मन का भ्रम होता है। हिम्मत और सच्चाई के साथ उसे दूर किया जा सकता है।