भूतिया कुआं की कहानी
गांव के बीचों-बीच एक पुराना कुआं था, जिसे लोग “भूतिया कुआं” कहते थे। कहते हैं कि कई साल पहले इस कुएं में एक गरीब किसान का बेटा गिर गया था और उसकी वहीं मौत हो गई थी।
उस समय गांव के लोगों ने उसकी मदद नहीं की, और तभी से यह माना जाने लगा कि उस बच्चे की आत्मा अब भी वहां भटकती है।गांव वालों का कहना था कि रात के समय कुएं के पास से गुजरने वालों को अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती थीं।
कई लोगों ने यह भी बताया कि उन्होंने वहां एक बच्चे की परछाई देखी, जो उन्हें कुएं की तरफ बुला रही थी। डर के मारे किसी ने भी उस कुएं की सफाई नहीं की, और धीरे-धीरे वह वीरान हो गया।एक बार गांव में एक नया परिवार रहने आया। उस परिवार में एक छोटा बच्चा था, जो खेलते-खेलते उस कुएं के पास चला गया।
अचानक उसकी आवाज बंद हो गई, और जब मां-बाप उसे ढूंढने पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि बच्चा कुएं के किनारे खड़ा था और नीचे झांक रहा था। उन्होंने डरते हुए बच्चे को खींच लिया।बच्चे ने बाद में बताया कि उसे लगा कि कुएं के अंदर कोई उसे बुला रहा था। उसकी बात सुनकर गांव वाले फिर डर गए।
कुछ बुजुर्गों ने सुझाव दिया कि उस कुएं की पूजा और शुद्धिकरण किया जाए।पंडित जी ने वहां एक यज्ञ करवाया और कहा कि उस आत्मा को शांति देने के लिए हर साल उस जगह पर दीप जलाने होंगे।
तब से गांव वाले हर साल वहां पूजा करते हैं। कहते हैं कि अब वहां से अजीब आवाजें आना बंद हो गई हैं, लेकिन रात में आज भी लोग उस कुएं के पास जाने से डरते हैं।
यह कहानी भूत-प्रेतों पर लोगों की आस्था और डर को दिखाती है, जो गांव की लोककथाओं में गहराई से जुड़ा हुआ है।