कहानी: ब्राह्मण का सपना
किसी छोटे से गाँव में एक ब्राह्मण रहता था जिसका नाम श्रीराम था। वह गरीब था, परन्तु उसमें एक अद्वितीय भक्ति भाव था। रोज़ सुबह उसे जगाने वाली बजार में उसकी भिक्षाटने की आदत थी, और उसका एक सपना था कि एक दिन वह वाराणसी जाकर भगवान विश्वनाथ के दर्शन करेगा।
एक दिन, श्रीराम को गाँव के एक धनी व्यापारी ने देखा और उसने श्रीराम को अपने साथ बुलाकर उसे दान में बहुत कुछ दिया। श्रीराम को इसमें बहुत खुशी हुई, और वह निर्धनता से बाहर निकलकर वाराणसी की ओर रुझ गया।
वाराणसी पहुँचकर उसने पहले भगवान विश्वनाथ के मंदिर में दर्शन किए। फिर उसने एक साधु से मिलकर उसे ब्रह्मज्ञान का अनुभव करने की इच्छा जताई। साधु ने उसे गुरुकुल में शिक्षा देने का निर्णय किया और श्रीराम ने वहां अगले कई वर्षों तक ब्रह्मज्ञान की मेहनत की।श्रीराम का अद्भुत गुण, विवेक और भक्ति ने उसे एक प्रतिष्ठान्वित ब्राह्मण बना दिया।
उसने गाँव के लोगों को धार्मिक शिक्षा देना शुरू किया और उन्हें जीवन में सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।एक दिन श्रीराम ने फिर से सपना देखा, पर इस बार उसका सपना पूरा हो चुका था।
भगवान विश्वनाथ ने उसे स्वयं अपने साथ बुलाया और उसे आशीर्वाद दिया। श्रीराम ने भगवान की कृपा से अपने जीवन को समर्पित किया और लोगों को धार्मिक शिक्षा देने में जुट गया।
इस प्रकार, श्रीराम का सपना सिर्फ़ उसके लिए ही नहीं, बल्कि उसके गाँव और समाज के लिए भी सत्य हो गया। उसने अपनी भक्ति, समर्पण, और उदारता के माध्यम से एक सकारात्मक परिवर्तन को संजीवनी दी और एक नये जीवन का संचार किया।