चद्दन्त हाथी की कहानी
प्राचीन समय की बात है, हिमालय के घने जंगलों में चद्दन्त नाम का एक विशाल और अद्वितीय सफेद हाथी रहता था। वह अपनी बुद्धिमत्ता, करुणा, और शक्ति के लिए प्रसिद्ध था। चद्दन्त हाथी का शरीर बर्फ की तरह सफेद था, और उसके छह विशाल दांत थे।
उसकी सौम्यता और परोपकार के कारण सभी जीव-जंतु उसे बहुत पसंद करते थे।चद्दन्त की दो रानियां थीं, जिनके नाम महा-सुभद्दा और चुल-सुभद्दा थे। वह अपनी दोनों रानियों से समान प्रेम करता था। एक दिन, जब चद्दन्त हाथी अपनी रानियों के साथ जंगल में भोजन कर रहा था, महा-सुभद्दा ने एक गुलाबी कमल का फूल देखा और उसे पाने की इच्छा व्यक्त की। चद्दन्त हाथी ने तुरंत नदी में गोता लगाकर वह कमल तोड़कर महा-सुभद्दा को भेंट कर दिया।हालांकि, चुल-सुभद्दा इस पर जलन महसूस करने लगी।
उसे लगा कि चद्दन्त हाथी महा-सुभद्दा को अधिक प्यार करता है। ईर्ष्या के कारण चुल-सुभद्दा ने प्रतिशोध लेने की ठान ली। कुछ समय बाद, चुल-सुभद्दा ने अपने जन्मस्थान लौटने का नाटक किया और वहां जाकर एक शिकारी को चद्दन्त हाथी के छह दांतों को लाने के लिए प्रेरित किया।शिकारी ने चद्दन्त हाथी का पीछा किया और उसे घायल कर दिया। चद्दन्त को जब यह पता चला कि उसकी रानी चुल-सुभद्दा के कहने पर शिकारी ने उसे निशाना बनाया है, तो वह दुखी हो गया।
फिर भी, अपनी दयालुता के कारण, चद्दन्त ने अपने दांत खुद ही तोड़कर शिकारी को दे दिए और उसे अपने कृत्य पर पश्चाताप करने का आशीर्वाद दिया।
शिक्षा:यह कहानी हमें सिखाती है कि करुणा, त्याग, और क्षमा महान गुण हैं। हमें अपने मन में जलन और ईर्ष्या को स्थान नहीं देना चाहिए, क्योंकि ये केवल दुःख और विनाश का कारण बनती हैं।