चिड़ीया और हाथी की कहानी
एक समय की बात है, एक बड़ा और ताकतवर हाथी जंगल में रहता था। वह अपनी ताकत और आकार पर बहुत घमंड करता था। एक दिन, हाथी जंगल में चलते हुए एक चिड़ीया का घोंसला तोड़ बैठा। चिड़ीया ने देखा और गुस्से से हाथी को डांटने लगी।
हाथी ने उसे हंसी में उड़ा दिया और बोला, “तुम छोटी सी चिड़ीया क्या कर सकती हो, मैं तो बहुत बड़ा और मजबूत हूं।”चिड़ीया ने हाथी को जवाब दिया, “तुम शायद ताकतवर हो, लेकिन ताकत ही सब कुछ नहीं होती।
मुझे भी तुम्हारी मदद की जरूरत है।”हाथी ने हैरान होकर पूछा, “तुम्हें मेरी मदद चाहिए तो बताओ, क्या काम है?”चिड़ीया ने कहा, “मेरा घोंसला एक गहरे कुएं में गिर गया है, और मैं उसे निकालने में सक्षम नहीं हूं। क्या तुम अपनी ताकत से मेरा घोंसला निकाल सकते हो?”हाथी को लगा कि यह काम बहुत आसान है और वह तुरंत कुएं के पास गया।
उसने अपनी सूंड से घोंसला निकाला और चिड़ीया को दे दिया।चिड़ीया ने धन्यवाद कहा और कहा, “देखो, तुम्हारी ताकत बहुत बड़ी है, लेकिन जब कोई काम छोटे आकार के जानवर को करना हो, तो उसकी चतुराई और समझदारी भी महत्वपूर्ण होती है।”हाथी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने समझा कि ताकत और बुद्धिमत्ता दोनों का मिलाजुला उपयोग करना सबसे अच्छा होता है।
कहानी से शिक्षा:कभी भी किसी को उसके आकार या ताकत से कम न आँको। हर किसी के पास कुछ खास गुण होते हैं, और कभी-कभी एक छोटा सा जीव भी बड़ी समस्या का समाधान कर सकता है।