Cinderella Fairy Tale Story In Hindi| सिंड्रेला की कहानी|

दोस्तों इस पोस्ट में हम आपको सिंड्रेला की कहानी के बारे में बताएंगे. यह एक लोकप्रिय कहानी है और इस कहानी के बारे में हर बच्चा जानता है. यह कहानी एक सौतेली मां की 27 एक लड़की की कहानी है. उस लड़की के जीवन में कैसे बदलाव आता है कहानी को बहुत ही रोचक तरीके से बताया गया है यह कहानी देश-विदेश में सुनी जाती है और हर बच्चा इस कहानी को बहुत खुशी से सुनता है और पढ़ना भी पसंद करता है.

एक शहर में एक धनी व्यापारी रहता था. उसकी एक बेटी थी. उसका नाम सिंड्रेला था उसकी बहुत सुंदर बेटी थी. की मां नहीं थी बिन मां की बच्ची को बाप ने किस तरह पाल पोस कर बड़ा किया का ख्याल रखा और उसकी हर जरूरतों का पालन किया उसको मां हमेशा थी. वह हमेशा यही सोचती कि उसकी पास उसकी मां भी होती और वह उसको याद करके रोया करती थी|

इला के पिता व्यापार के सिलसिले में अक्सर शहर से बाहर जाया करते थे.जब बाहर जाते थे तब उनको एला की चिंता हमेशा सताती थी . इसलिए उन्होंने सोचा कि वह दूसरा विवाह करके एला के लिए दूसरी मां ले आए. केला की सौतेली मां एक दुष्ट औरत थी. उस औरत का हमेशा यही इरादा था कि वह इला के पिता की दौलत पर ऐसो आराम का जीवन व्यतीत करें . और उस औरत की पहले से ही 2 बेटियां और थी विवर्स सूरत और अपनी मां की ही तरह दुष्ट थी. शादी के बाद इला की सौतेली बहने और मैं उनके घर पर रहने लगी. इलाके पिता के सामने वह बहुत अच्छी बातें और मीठा स्वभाव दिखाती थी लेकिन जब इलाके पिता नहीं होते तो वह उनके पीठ पीछे उन्हें बहुत तंग करती थी.

एक रोज इला के पिता काम के सिलसिले में नगर से बाहर गए हुए थे. काफी महीने गुजर गए थे लेकिन इलाके पापा इंतजार करने के बाद भी नहीं आए थे. लेकिन अपने पापा का हमेशा इंतजार करती रहती थी. एक दिन इला को उसके पिता की मौत की खबर आई. पिता की जाने के बाद इला अकेली पड़ गई. उसकी जो सौतेली मां थी वह घर की मालकिन बन गई और इलाकों घर का नौकर जैसा व्यवहार करने लगी. उससे बहुत काम करवाती थी और खुद राजकुमारियों की तरह अच्छी तरह से अपना जीवन व्यतीत करती थी.
की तरह जीवन जीने वाली अपनी सौतेली मां के फटे पुराने कपड़े पहना करती थी.. उनके कहने पर घर का पूरा काम भी करती थी लेकिन फटे पुराने कपड़े पहनने के बाद भी इला सुंदर लगती थी. इसकी उसकी दोनों भेजें उससे बहुत चलती रहती थी.

अकेली के दोस्त उस घर में रहने वाले दो चूहे एक नन्ही चिड़िया थी. दिन भर काम करने के बाद जब उसके पास समय मिलता तो वे उनके साथ खेलती थी और वह रात को थक के अंगूठी के किनारे सो जाती.. सोते समय अंगूठी की राख लिपट कर उस पर गिरने लगती. सुबह-सुबह उस पर अंगूठी की रात बिक्री होती थी जिसे देखकर उसकी सौतेली मां ने उसको छोड़ आती थी और उसे बोला करती थी सिंडरेला और बाद में उसका नाम सिंड्रेला पड़ गया.

एक बार की बात है पूरे राज्य में इस बात की घोषणा हो गई कि राजा महल में एक बहुत बड़े जलसे का आयोजन कर रहे हैं. उस जलसे में आने वाली लड़कियों में से एक लड़की को राजकुमार अपने विवाह के लिए चुनेंगे…..जलसे में राज्य के सभी लड़कियों को बुलाया गया…..

यह घोषणा होने के बाद जब सिंड्रेला की सौतेली बहनों को इस बात का पता चला… तो वह भी जलसे में जाने की तैयारी करने लगी. सिंड्रेला राजमहल का जलसा देखने को उत्साहित होने लगी. लेकिन उसकी सौतेली मां उसके वहां जाने की खिलाफ थी. क्योंकि उन्हें पता था कि अगर यह वहां गई तो उसकी बस सूरत बेटियों की दाल नहीं गलेगी. इसकी वजह से उसकी मां ने सिंडरेला को जड़ से मिटाने की अनुमति नहीं दी….

जिस दिन राजा ने घोषणा रखी थी उस दिन सिंडरेला को उसकी मां और उसकी बहन ने दोगुना काम सौंप कर वहां से चली गई. उदास सिंड्रेला दिन भर घर का काम करती रही और जलसी के बारे में सोचती. काम खत्म करने के बाद अंगीठी के पास बैठी, तो नन्ही चिड़िया और दोनों चूहे उसके पास आए और उसका मन बहलाने की कोशिश करने लगी. लेकिन सिंडरेला उदास थी इसलिए उसका मन नहीं भर रहा था वे लगातार उदास होती जा रही थी उसकी आंखों में आंसू आ गए थे. वह अपनी मां को याद करके बार-बार सो रही थी सोच रही थी अगर मां होती तो मैं भी आज उस राजा की जलसे में जा पाती.

सिंड्रेला यह बात सोच ही रही थी अपने मन में कि अचानक उसके सामने एक परी प्रकट हुई. उस परी ने सिंडरेला से उसकी उदास होने का कारण पूछा, तो परी को सिंड्रेला ने अपनी उदासी का कारण बता दिया. उसकी बात सुनने के बाद परी ने सिंडरेला को बहुत अच्छी तरह से तैयार किया जलसे में ले जाने के लिए… फटे पुराने कपड़ों को नए कपड़ों में बदल दिया. रसोई में रखें कद्दू को उसने अपनी जादू की छड़ी से एक खूबसूरत बग्गी बना दी और उन दोनों चूहों को घोड़ा बना दिया और चिड़िया को कोच बान


सिंड्रेला के खूबसूरत पैरों में परी ने कांच की जूतियां पहनाई और उसकी आंखों पर नकाब पहना दिया. जब सिंड्रेला बग्गी पर बैठकर जलसे में जाने को तैयार थी जाते समय परी ने उससे कहा की उसका जादू रात 12:00 बजे तक की है. 12:00 बजे से पहले उसे किसी भी सूरत में वापस आना होगा . नहीं तो जादू समाप्त होते ही वे अपने फटे पुराने कपड़ों में आ जाएगी. सिंड्रेला ने परी को वचन दिया कि वह 12:00 बजे से पहले घर वापस आ जाएगी और वह यह कह के वहां से जल्द से के लिए निकल गई.

जल से पहुंची उसकी सुंदरता को देखकर हैरान थे. वह जलसे की सबसे सुंदर लड़की थी. जब उसकी सौतेली बहनों ने उसको देखा तो वेजलपुर कर रह गई. लेकिन नकाब लगा होने की वजह से उसे नहीं पहचान सके. और अब क्या था राजकुमार की नजरें भी सिंडरेला पर ठहर गई………………………………………. राजकुमार को पहली नजर में सिंडरेला से प्रेम हो गया था. उसके पास गया और उसने उसको नृत्य करने के लिए आमंत्रित किया. राजकुमार और सिंड्रेला दोनों श्याम नृत्य करते रहे वहां पर जो भी लड़की थी वह यह देखकर जलने लगी थी . नृत्य करते समय राजकुमार ने सेंट्रल से उसके बारे में पूछा, तो उसने अपनी पहचान छुपाते हुए कुछ नहीं बताया.

कुछ दिनों के बाद जब वह घर से बाहर निकली सैंडला बहुत खुश थी. इस खुशी के चक्कर में उसको यह पता नहीं चला कि 12 कब बचकर और 12:00 बज चुके थे वह अपनी पुरानी हालत में वापस आने वाली थी. इसलिए राजकुमारी राजकुमार का हाथ छोड़कर मैहर से बाहर की तरफ भागने लगी लेकिन राजकुमार उसे जाने नहीं देना चाहता था. राजकुमार भी उसके पीछे भागने लगा. भागते भागते जब वह महल के पास पहुंची तो उसके एक पैर की जूती निकल गई. लेकिन सेंट्रल के पास उस जूती को वापस पहनने का समय नहीं था. इसलिए ज्योति को वहीं छोड़कर बग्गी में बैठ गई. राजकुमार जब दरवाजे पर गया बग्गी जा चुकी थी. राजकुमार यह देखकर बहुत उदास हो गया और महल में जाने लगा. तभी राजकुमार ने देखा दरवाजे पर पड़ी कांच की जूती उसने उसे उठा लिया.

सेंट्रल जैसे ही अपने घर पहुंची परी की जादू का असर खत्म होने हो गया था. राजकुमार सेंट्रल को भूल नहीं पा रहा था इसलिए उसने अपना मन बना लिया था उसे ढूंढने का और उससे विवाह करने का. सैंडल को ढूंढने के लिए उसके पास कांच की जूती थी. उसने पूरे राज्य में यह बात करवा दी कि जिस भी लड़की के पैर में कांच कीजिए जूती आ जाएगी. वे उसी लड़की से विवाह करेगा.

राजकुमार से विवाह करने के लिए सभी लड़कियां इच्छुक थी. सभी लड़कियां उस कांच की जूती को अपनी जूती बता कर पहनने का प्रयास करने लगी. लेकिन वे जूती किसी भी लड़की के पैर में नहीं आई. राजकुमार अपने सेवकों के साथ हर शहर हर नगर में घूमता रहता था. एक दिन अचानक वह घूमते घूमते सैंडल के घर ही पहुंच गया.

सिंड्रेला की मां राजकुमार का स्वागत करके उसको अपने घर में ले गई. वहां उसने राजकुमार को अपनी अपनी दोनों बेटियों से मिलवाया. लेकिन संडे को राजकुमार के सामने आने तक ना दिया. सिंड्रेला की सौतेली बहनों राजकुमार के पास जो जूती थी उस जूती को पहनने का प्रयास करने लगे. लेकिन लाख कोशिश करने के बाद भी वह जूती उनके पैर में नहीं आई.

निराश होकर राजकुमार महल की ओर जाने लगा था. कि उसकी नजर पर्दे के पीछे से झांकती हुई एक लड़की पर पड़ी. उसने उसे वहां बुलाया लेकिन सैंडल ला की मां ने उसको बहुत मना करने के बाद भी सेंड लाने से जूते पहन ली और वे उसके पैर में आ गई. अब सेंड लाने अपने पास से दूसरी जूती भी निकालकर पहन ली यह देख कर उसकी सौतेली मां और बहनों की आंखें फटी की फटी रह गई.

लेकिन राजकुमार समझ गया था कि सैंडल ला ही वह लड़की है जो उसे जलसे में मिली थी और जिससे वह प्रेम करने लगा था. उसने सैंडला से विवाह का प्रस्ताव था. संदला ने भी इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. राजकुमार और सिंड्रेला का विवाह हो गया और वह दोनों खुशी-खुशी जीवन व्यतीत करने लगे.