“Deceptive Kazi: An Amusing Tale from Akbar and Birbal” |”धोखेबाज काजी: अकबर बीरबल की एक मजेदार कहानी”
बिरबल और अकबर की यह कहानी धोखेबाज काजी के बारे में है:
बहुत समय पहले की बात है, अकबर बादशाह ने अपने दरबार में एक नए काजी को नियुक्त किया। उस काजी का नाम बोला गया – जल्दी ही सबको पता चला कि यह काजी बहुत ही धोखेबाज था।
एक दिन अकबर ने बिरबल को बुलवाया और उससे कहा, “बिरबल, मैंने सुना है कि हमारे नए काजी बहुत ही ईमानदार और समझदार हैं। क्या तुम मुझे इसका पता लगा सकते हो?”
Deceptive Kazi: An Amusing Tale from Akbar and Birbal” |”धोखेबाज काजी: अकबर बीरबल की एक मजेदार कहानी“
बिरबल ने आदरपूर्वक कहा, “जी हुज़ूर, मुझे थोड़ी देर में पता चल जाएगा।”
उसी दिन शाम को, बिरबल ने अपने एक यार को एक जादूगर बनकर काजी के पास भेज दिया। जादूगर ने कहा कि वह जादू करके इंसानों को जानवरों में बदल सकता है।
अगले दिन, बिरबल ने अकबर से कहा, “हुज़ूर, मैंने एक जादूगर को बुलवाया है जो काजी की सच्चाई को जान सकता है।”
जब जादूगर दरबार में आया, तो अकबर ने उससे पूछा, “तुम किसी को भी जानवर में बदल सकते हो?”
जादूगर ने हां कह दिया और तय किया कि उसका पहला प्रदर्शन काजी पर होगा।
Deceptive Kazi: An Amusing Tale from Akbar and Birbal” |”धोखेबाज काजी: अकबर बीरबल की एक मजेदार कहानी”
उस रात, बिरबल ने जादूगर के साथ मिलकर काजी के घर जाकर उसके पेड़ पर बैठने का प्लान बनाया। जब काजी पेड़ पर बैठा, तो जादूगर ने जादू किया और काजी को जानवर में बदल दिया।
जब अकबर और उसके दरबारी यह देखकर हैरान हुए, तो बिरबल ने उनसे कहा, “हुज़ूर, यही सच्चाई है कि आपके नए काजी धोखेबाज हैं।”
इस पर अकबर ने काजी को फिर से वापस इंसान में बदलने का आदेश दिया और उसे तुरंत खासी सजा दी।
इस घटना से सबको यह सिख मिली कि बिना सच्चाई के किसी को दोष नहीं देना चाहिए, और सजा सिर्फ उसे मिलनी चाहिए जिसका पाप हो।