भूत की कहानी : डायनासोर की गुफा | Dinosaur Ka Gupha Story In Hindi

डायनासोर का गुफाबहुत समय पहले की बात है, एक घना जंगल था जिसमें तरह-तरह के जानवर रहते थे। उस जंगल के एक कोने में एक विशाल गुफा थी, जिसे सब “डायनासोर की गुफा” कहते थे।

कहते थे कि उस गुफा में एक भयंकर डायनासोर रहता था, जिसने कई सालों से किसी को गुफा के अंदर आने नहीं दिया था।गांव के बच्चे अक्सर उस गुफा के बारे में कहानियां सुनते और डरते थे। लेकिन उनमें से एक बच्चा, जिसका नाम अर्जुन था, बड़ा साहसी था। वह हमेशा कहता, “मैं एक दिन इस गुफा के अंदर जाऊंगा और देखूंगा कि वहां क्या है।”

एक दिन अर्जुन ने अपने दोस्तों को बुलाया और कहा, “चलो, गुफा के पास चलते हैं। हमें डरने की जरूरत नहीं है।” दोस्तों ने मना किया, लेकिन अर्जुन अपनी जिद पर अड़ा रहा। वह अकेला गुफा की तरफ चल पड़ा।जब वह गुफा के पास पहुंचा, तो वहां अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। अर्जुन का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।

उसने धीरे-धीरे गुफा के अंदर कदम रखा। गुफा के अंदर अंधेरा था, लेकिन अर्जुन ने अपनी मशाल जलाई।गुफा के अंदर उसने देखा कि वहां एक बड़ा सा डायनासोर बैठा हुआ था। लेकिन डायनासोर उतना भयंकर नहीं लग रहा था जितना लोगों ने बताया था।

बल्कि वह दुखी और अकेला लग रहा था। अर्जुन ने हिम्मत जुटाकर पूछा, “तुम इतने दुखी क्यों हो?”डायनासोर ने कहा, “मुझे यहां कोई नहीं आता, सब मुझसे डरते हैं। मैं अकेला महसूस करता हूं।” अर्जुन को डायनासोर की बात सुनकर दया आ गई। उसने कहा, “अगर तुम लोगों को डराना बंद कर दो, तो वे तुम्हारे दोस्त बन सकते हैं।”

डायनासोर ने वादा किया कि वह अब किसी को डराएगा नहीं। अर्जुन ने गांव वापस जाकर सबको बताया कि डायनासोर भयंकर नहीं है। धीरे-धीरे लोग गुफा के पास जाने लगे और डायनासोर उनका दोस्त बन गया।

इस तरह अर्जुन की हिम्मत ने न केवल डायनासोर का अकेलापन दूर किया, बल्कि गांव और गुफा के बीच का डर भी खत्म कर दिया।

शिक्षा: डर को दूर करने के लिए हिम्मत और समझदारी जरूरी होती है। डर हमेशा सच नहीं होता, कभी-कभी समझदारी से चीजें बदल सकती हैं।