अलिफ लैला:
गरीक बादशाह और हकीम दूबां की कहानीअलिफ लैला या “अरबियन नाइट्स” की कहानियां प्राचीन अरबी लोककथाओं का संग्रह हैं, जिसमें हर कहानी दिलचस्प और रोमांचक होती है। इनमें से एक कहानी है गरीक बादशाह और हकीम दूबां की, जो न्याय, बुद्धिमत्ता और धोखे पर आधारित है।
कहानी की शुरुआत:बहुत समय पहले गरीक में एक बादशाह शासन करता था। वह ताकतवर और बुद्धिमान था, लेकिन उसे एक गंभीर बीमारी हो गई थी। सारे हकीम और वैद्य उसकी बीमारी का इलाज करने में असफल रहे।तभी एक दिन दरबार में एक दूर देश से आया हुआ एक हकीम (चिकित्सक), जिसका नाम दूबां था, उपस्थित हुआ। वह बहुत विद्वान और अनुभवी था।
उसने बादशाह से कहा,”महाराज, मैं आपकी बीमारी का इलाज कर सकता हूं, और आपको दवाइयों की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी।”बादशाह को हकीम दूबां की बात पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन उसने इलाज की अनुमति दे दी।
दूबां का अनोखा इलाज:हकीम दूबां ने एक बॉल (गेंद) और एक छड़ी तैयार की और बादशाह से कहा कि वह गेंद को छड़ी से मारें। गेंद में खास दवाइयां भरी गई थीं। जब बादशाह ने गेंद को मारा, तो उसके शरीर से पसीना बहने लगा। कुछ ही समय में उसकी बीमारी खत्म हो गई।बादशाह बहुत प्रसन्न हुआ और उसने हकीम दूबां को अनमोल उपहार दिए और अपने खास मंत्रियों में शामिल कर लिया।
मंत्री की ईर्ष्या और षड्यंत्र:राजदरबार में एक ईर्ष्यालु मंत्री था, जिसे दूबां की सफलता से जलन होने लगी। उसने बादशाह के कान भरना शुरू कर दिया,”महाराज, यह हकीम बहुत चालाक और खतरनाक है। वह आपके लिए कभी भी जानलेवा साबित हो सकता है। उसे अभी मार देना चाहिए।”शुरुआत में बादशाह ने मंत्री की बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन बार-बार कहने पर वह शक करने लगा।
दूबां की सज़ा और आखिरी बात:बादशाह ने अंततः हकीम दूबां को बुलाया और उसे मौत की सजा सुना दी। हकीम दूबां ने शांतिपूर्वक कहा,”महाराज, मैं मरने से पहले आपको एक खास किताब देना चाहता हूं। इस किताब को पढ़ने पर आपको असीम ज्ञान मिलेगा। लेकिन इसे तभी खोलें जब मेरा सिर कट जाए और आप मेरे सिर से बात करें।”बादशाह ने यह बात मान ली। दूबां को मार दिया गया, और बादशाह ने किताब खोलने की कोशिश की। लेकिन किताब के पन्ने जहर में डूबे हुए थे। जैसे ही उसने पन्ने पलटे, वह जहर से मर गया।
कहानी का संदेश:यह कहानी सिखाती है कि ईर्ष्या और लालच इंसान को विनाश की ओर ले जाते हैं। न्याय और विवेक से काम लेना चाहिए, वरना परिणाम घातक हो सकते हैं।अलिफ लैला की यह कहानी बौद्धिकता, नैतिकता, और धैर्य का सुंदर उदाहरण है।