एक गांव में एक बूढ़ी औरत रहती थी. वह आंखों से ठीक से देख नहीं पाती थी. फिर भी गांव वाले उसके पास ही अपने कपड़े सिलवाने के लिए दिया करते थे. 1 दिन उस गांव में एक नया दर्जी आ गया. उस दर्जी का नाम हरि था. हरी बोला मेरे पास एक भी ग्राहक नहीं है सब भाग के उस बूढ़ी औरत के पास पहुंच जाते हैं. उसने आवाज लगाई रतन भाई……. और भाई………… कहां जा रहे हो. रतन ने उत्तर दिया मुझे अपनी बेटी के कपड़े सिलवाने हैं भाई……. इसीलिए मैं बूढ़ी मां के पास जा रहा हूं.,,,,,,,,,,,,,,,,,, जब हरी ने यह सुना तो उसने कहा भाई मुझे दे दो. मैं इन कपड़ों को बहुत सुंदर बना दूंगा. रतन ने हरी से कहा……….. अरे नहीं भाई,,,,,,,,,,,,, इतने दिनों से बूढ़ी मां ही हमारे कपड़े तैयार करती है. तो मैं यह कपड़े उन्हें ही दूंगा……………… हरी बोला लेकिन वह तो…….. अपनी आंखों से अच्छी तरह से देख ही नहीं पाती है. हरि की यह बात सुनकर रतन बोला…… अगर उन्हें दिखाई नहीं देता तो क्या मैं उन्हें छोड़ दूंगा. जैसा भी सील कर देंगे वह मेरी बेटी उसको पहन लेगी. क्योंकि बूढ़ी मां के काम की बात ही कुछ और है. चलो भाई मैं चलता हूं मुझे देर हो रही है. वह वहां से चला गया.
हरि को गुस्सा आया उसने जोर से कहा छोडूंगा तो नहीं दिमाग लगाकर कुछ ताकि इस रतन के जाल में वह बूढ़ी औरत फस जाए. और जोर जोर से हंसने लगा. काफी सोचने के बाद रतन को एक रास्ता मिल गया. वह जानता था उस बूढ़ी औरत को रात में दिखाई नहीं देता है. इसलिए आज से ही मैं रात में नए-नए लोगों के नाम रख कर उस बूढ़ी औरत के घर जाऊंगा. और अपनी करामत शुरू कर दूंगा. फिर वह वहां से चला गया…………………..,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, उसने बूढ़ी मां के दरवाजे पर खटखटाया बोला बड़ी मां जब बूढ़ी मां ने दरवाजा खोला…. तो उसने पूछा, तुम कौन हो बेटा? उसने कहा मेरा नाम मदन है. और मैं इस गांव में नया आया हूं, आपके पास मैं अपने कपड़े सिलवाना चाहता हूं. फिर उस बूढ़ी मां ने कहा…..,,,,,,, ओ हो मदन लेकिन बेटा तुम तो जानते हो कि मैं रात में देख नहीं पाती हूं. तुम सुबह आ जाना बेटा, उसने कहा लेकिन मुझे यह कपड़े सिलवाने बहुत जरूरी है. बूढ़ी मां ने कहा ठीक है ठीक है……………. मैं तुम्हारे कपड़े तैयार कर दूंगी. तुम मेरे पास परसों सुबह आ जाना और कपड़े ले जाना. ठीक है, कपड़े लेकर बूढ़ी मां आ गई. और वह वहां से चला गया. बूढ़ी मां ने मेहनत करके मदन के कपड़ों का काम पूरा कर लिया. बूढ़ी मां बोली चलो अच्छा है जल्दी काम करने पर मदन का काम पूरा हो गया. जब वह आएगा तब मैं उसके कपड़े उसको उसी वक्त दे दूंगी.
फिर रात को मदन अपने कपड़े लेने उसके पास गया. बूढ़ी औरत ने दरवाजा खोलो और पूछा. कौन हो? उसने कहा मैं मदन हूं? बूढ़ी औरत ने कहा और मदन तुम शाम में क्यों नहीं आए बेटा,,,, मैंने तुम्हारा कपड़ा सिल कर तैयार कर रखा है. मदन ने कहा,,,, तो आप अभी अभी ही दे दीजिए. बूढ़ी औरत ने उससे कहा, वह मैं अभी नहीं दे पाऊंगी बेटा, क्योंकि मुझे आंखों से कम दिखाई पड़ता है. और हरा कपड़ा कौन सा है यह तो मैं समझ नहीं पाऊंगी. मदन ने बूढ़ी औरत से कहा,,,,,,,, आप चिंता क्यों कर रही हैं मैं खुद ही ढूंढ लेता हूं. बूढ़ी औरत ने कहा तुम ढूंढ लोगे तो बेटा जाओ देखो,,,,, उस पोटली में रखी हुई है…….. तुम्हारा कौन सा है जाकर ढूंढ लो. वह उस पोटली के पास चला गया………………………….. वहां जाकर पास में रखी कैची उठाकर उसने पोटली के अंदर रखे सभी कपड़ों को काट दिया. और कोटली बंद करके बाहर आ गया. फिर वह बूढ़ी औरत से बोला,,,, मिल गया है मुझे मेरा कपड़ा उसने उसको पैसे दिए और वहां से चला गया.
अगली सुबह बूढ़ी मां के पास हरि आया और बोला, अरे सुनिए बूढ़ी मां मेरी बेटी के कपड़े सिल गए क्या? बूढ़ी मां ने उससे कहा,,,,,,, रुको रुको देती हूं देती हूं. और वह अंदर चली गई. उसने पोटली खोली और देखा….. देखकर आश्चर्य हो गई बोली अरे यह क्या हो गया. टुकड़े टुकड़े हो गए हैं. हाय हाय हाय हाय………. अब मैं क्या करूं भगवान मेरी इतनी मेहनत सभी कपड़ों की सिलाई खुल चुकी है हाय हाय हाय………… बाहर से हरी ने पूछा,,,,,, क्या हुआ बूढ़ी मां? आप इतना रो क्यों रही हो. आप फिर से सिलाई कर दीजिए आराम से कीजिएगा मैं बाद में आकर ले जाऊंगा. और वह वहां से चला गया.
रतन खुश हो रहा था और खुद ही बोल रहा था मैंने ऐसा काम किया है की आबू कोई भी उसके पास नहीं जाएगा. हा हा हा हा हा……………….. उधर से हरी आ रहा था. कपड़े नहीं मिले…………. वह बोला अरे नहीं अरे नहीं उस बूढ़ी औरत के सारे कपड़ों की सिलाई अपने आप खुल गई. तब रतन ने कहा……… मैंने तो पहले ही कहा था कि मुझे दे दो…………… हरी बोला अरे नहीं नहीं बूढ़ी मां ने कहा कि वह दोबारा उन कपड़ों को सील देंगी. अच्छा तो मैं चलता हूं हंस के वहां से चला गया.
रतन ने कहा, अच्छा तो मैं भी फिर से सिलवासा हूं. और जोर जोर से हंसने लगा………………………. और फिर वह रात में उसके पास गया. इस बार उसने कहा ,वह बूढ़ी मां मैं रवि हूं. मेरा पेंट तैयार हो गया है. उसने कहा ,हां हो गया है. मैंने उसको अलग हटा के रखा है. रुको मैं अभी लेकर आती हूं. वह अपना चश्मा रखकर बूढ़ी औरत चली गई. रवि ने उसका चश्मा उठा लिया और वह वहां से भाग गया. बूढ़ी मां ने कहा रुक जाओ रवि कहां चला गया. यह लड़का तो बहुत ही अजीब है.
अगली सुबह उठकर बूढ़ी मां पूरे घर में अपना चश्मा ढूंढ रही थी. अरे मेरा चश्मा कहां चला गया. अगर मेरा चश्मा नहीं मिला तो मैं सिलाई नहीं कर पाऊंगी. और अगर मैं सिलाई नहीं कर पाई तो खाऊंगी क्या? यह बात बोलकर बूढ़ी औरत उदास हो गई.
तभी बूढ़ी औरत के पास जमींदार आया उसने कहा बूढ़ी मां आपको मेरे कपड़े सिलने पड़ेंगे. बूढ़ी मां ने कहा नहीं जमींदार मैं नहीं कर पाऊंगी. जमींदार ने उस बूढ़ी मां से कहा यह क्या बोल रही है आप,,,,,, बूढ़ी औरत ने जमींदार को बताया कि कल से मेरा चश्मा नहीं मिल रहा है. इसीलिए आप किसी और दर्जी से अपने कपड़े सिलवा लीजिए. जमींदार बोला…….. मगर मेरे पास तो बिल्कुल भी समय नहीं है……… 2 दिन के बाद मेरी बेटी की शादी है. ठीक है तो मैं उस रतन दर्जी के पास ही जाता हूं. यह बोलकर जमींदार वहां से चला गया. बूढ़ी औरत रोने लगी बोली हाय हाय हाय…….. हे ऊपर वाले मैंने आखिर क्या गलती कर दी. जो आपने मुझे इतनी बड़ी सजा दे दी. मुझे तो पहले ही आंखों से कम दिखाई देता है. खो गया. कौन मेरा चश्मा लेकर चला गया मेरा चश्मा मेरा चश्मा………. और जोर-जोर से वो रोने लगी.
तभी अचानक एक जादुई लड़की उसके सामने आई और बोली ओ बूढ़ी मां और मत रहिए यह लीजिए. इस मशीन से जैसे ही आप बोलेंगे यह मशीन सिलाई शुरू करो वैसे ही मशीन आपकी चालू हो जाएगी. और मशीन को बंद करने के लिए बोलोगे वह मशीन अब रुक रुक रुक बस वैसे ही आपकी मशीन रुक जाएगी. बूढ़ी मां ने उससे कहा, यह तुम क्या बोल रही हो? हां बूढी मां आपसे आपकी यह मशीन सहायता करेगी. और आपको कोई परेशानी भी नहीं होगी. अच्छा अब मैं चलती हूं. यह कहकर वह लड़की वहां से चली गई.
बूढ़ी मां उसके जाने के बाद बोलने लगी यह कैसी लड़की है बहुत ही अजीब है बूढ़ी मां उस मशीन को अंदर ले गई अंदर ले जाने के बाद उसने सोचा ठीक है मैं करके देखती हूं…………………….. बूढ़ी मां ने मशीन से कहा,,,,,,,,,,,,,,,, मशीन सिलाई शुरू कर दो. कहने के बाद मशीन में सिलाई शुरू कर दी. यह देख कर का बोली……….. अरे बाप रे यह क्या है? इससे तो सच में सिलाई हो रही है. यह तो जादुई सिलाई मशीन है. बूढ़ी मां की खिड़की में से रतन चुपके से बूढ़ी मां के कमरे में देख रहा था. उसने कहा,,,, यह तो बहुत कमाल की चीज है जमींदार का 2 दिन का काम 1 दिन में ही खत्म हो जाएगा. और वह फिर अपनी वही चाल के बारे में सोचने लगा .उसने कहा, बूढ़ी मां मैं फिर रात में आऊंगा. रात में है हा हा हा हा हा. और वह फिर वहां से चला गया.
रात को वह बूढ़ी मां के घर चुपके से आया उसने दरवाजा खोला, बूढ़ी मां सो रही थी. और वह मशीन उठाकर अपने घर ले गया. उसने मशीन से कहा,,,,, मशीन सिलाई कर. मशीन अपना मंत्र सुनने के बाद सिलाई करना शुरू कर देती है यह देख कर रतन सुकून से सो जाता है. अबू कपड़ा खत्म होने के बाद…… वह मशीन बिस्तर भी सील देती है. कपड़े नहीं मिलने पर मशीन उसके पड़ोस के घर में भी चली जाती है. वहां भी वह सारे कपड़े सिलाई करने लगती है. इसी तरह मशीन एक घर के बाद दूसरे घर चलती जाती है. जब सुबह होती है रतन की आंख खुलती है तो वह अपने आप को बिस्तर में सिला हुआ देखता है. उसे देखकर,,,……. वह बोलता है हाय हाय यह क्या मुझे भी बिस्तर के साथ चल दिया. वह बेचैन हो जाता है वह बोलता है अरे यह क्या अरे यह क्या. सिलाई मशीन कहां चली गई. हाय हाय हाय…………. और रोने लगता है.
पूरे गांव में सभी लोग कोई कपड़े से सिला होता है कोई चादर से सिला होता है. उछल उछल कर चलने लगते हैं. रतन के पीछे पीछे सभी उछल रहे हैं. रतन ने कहा उस बूढ़ी के घर में सिलाई मशीन है वह बूढ़ी ही सबको बचाएगी चलो चलो उस बूढ़ी के घर चलो……………………………… इधर बूढ़ी मां रो रही थी. वह अपनी किस्मत को कोस रही थी. हाय रे मेरी किस्मत एक सिलाई मशीन मिली थी वह भी चोरी हो गई. अब मैं क्या करूं हां…. रतन बूढ़ी मां के पास आया उसने कहा बूढ़ी मां बूढ़ी मां अपनी सिलाई मशीन से बोलिए कीजिए सिलाई रोकते इसने सबको सिल दिया है. बचाओ बूढ़ी मां बचाओ बचाओ बूढ़ी मां……. बूढ़ी मां बोली हो तुमने चोरी की थी. मेरी सिलाई मशीन………. रतन ने कहा गलती हो गई गलती हो गई मुझसे बूढ़ी मां……. मैंने ही आपका चश्मा भी चोरी किया था. मुझे माफ कर दीजिए मुझे माफ कर दीजिए. मुझे खोल दीजिए…………………………………… जमींदार ने बूढ़ी मां से कहा आपसे प्रार्थना है इसके चोरी करने की सजा इसे मैं दूंगा…. बूढ़ी मां ने मशीन से कहा ,वह मशीन अब रुक,,, रुक रुक,,,,,, मशीन के रुकने के बाद बूढ़ी मां ने सबको खोल दिया……………………………. उसके बाद जमीदार बोला रतन को बांधना और बूढ़ी मां मेरी बेटी की शादी के सारे कपड़े आशीष लेनी. और इसके लिए आपको बहुत सारे पैसे दिए जाएंगे. जिससे आप अपने लिए नया चश्मा ले लीजिएगा. ठीक है बूढ़ी मां ……… बूढ़ी मां ने कहा, अच्छा ठीक है. जमींदार ने रतन से कहा अब रतन तुम्हारा यह काम है इस मशीन ने गांव में जितनी सिलाई की है सब सिलाई तुम्हें खोलनी होगी. रतन यह बात सुनकर बोला किया जमींदार साहब,, सबकी तब जमींदार ने कहा हां सब की वह बोला अरे बाप रे….. और रोने लगा,,.,.,.,.,.,.,.,.,.,.,., उसके बाद…….. हरि गांव के लोगों की सिलाई को काटने लगा………. और दूसरी तरफ बूढ़ी मां जादुई सिलाई मशीन से गांव के सभी कपड़े सिलने लगी.