जातक कथा: बिना अकल के नकल
एक समय की बात है, एक जंगल में एक बंदर और एक मगरमच्छ रहते थे। बंदर पेड़ पर रहता था और फल खाता था, जबकि मगरमच्छ नदी में मछलियाँ पकड़ता था। दोनों में गहरी मित्रता थी और वे अक्सर एक-दूसरे से मिलते रहते थे।एक दिन मगरमच्छ ने देखा कि बंदर अपने पेड़ पर बहुत स्वादिष्ट आम खा रहा है। मगरमच्छ ने कहा, “मुझे भी ये आम बहुत अच्छे लगते हैं। क्या तुम मुझे भी कुछ दे सकते हो?”बंदर ने खुशी-खुशी मगरमच्छ को आम दिए। मगरमच्छ ने आम खाए और सोचा, “अगर आम इतने मीठे हैं, तो जो इनका सेवन करता है, उसका दिल कितना स्वादिष्ट होगा!”मगरमच्छ ने यह बात अपनी पत्नी को बताई।
उसकी पत्नी ने लालच में आकर कहा, “तुम्हारे दोस्त बंदर का दिल जरूर स्वादिष्ट होगा। तुम उसे किसी तरह से मुझे लेकर आओ।” मगरमच्छ ने पहले मना किया, लेकिन पत्नी के बार-बार कहने पर वह मान गया।मगरमच्छ ने बंदर से कहा, “मित्र, मेरे घर पर आमों का बड़ा पेड़ है। चलो, मैं तुम्हें वहां ले चलता हूँ।” बंदर खुश हो गया और मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया।
जब वे नदी के बीच में पहुँचे, तो मगरमच्छ ने सच्चाई बताई, “मित्र, मैं तुम्हें अपनी पत्नी के लिए लाया हूँ, क्योंकि उसे तुम्हारा दिल चाहिए।”बंदर यह सुनकर घबरा गया, लेकिन उसने अपनी बुद्धि से काम लिया। वह बोला, “मित्र, तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मेरा दिल तो पेड़ पर रखा है। चलो, मुझे वापस ले चलो, ताकि मैं अपना दिल ले आऊँ।”मगरमच्छ उसकी बातों में आ गया और उसे वापस पेड़ पर ले आया। जैसे ही बंदर पेड़ पर चढ़ा, उसने मगरमच्छ से कहा, “मूर्ख! कोई भी अपना दिल अपने शरीर से बाहर नहीं रख सकता।
तुमने नकल करने की कोशिश की, लेकिन अकल का इस्तेमाल नहीं किया। अब जाओ, और मुझे परेशान मत करना।”मगरमच्छ को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने बंदर से माफी मांगी।
शिक्षा:बिना अकल के नकल करने का परिणाम हमेशा नुकसानदायक होता है। बुद्धिमानी से काम लेना ही सबसे सही तरीका है।