कुछ समय पहले की बात है, राजा अकबर व बीरबल दरबार में बैठे कुछ अहम बातें कर रहे थे। तभी बीरबल ने अकबर से कहा, “मुझे लगता है कि अधिकतर पुरुष जोरू के गुलाम होते हैं और अपनी पत्नियों से डर कर रहते हैं।” बीरबल की यह बात राजा अकबर को बिल्कुल भी पसंद न आई। उन्होंने इस बात का खंडन किया।
इस बार बीरबल भी अपनी बात मनवाने पर अड़ गए। उन्होंने राजा से कहा कि वे अपनी बात को सिद्ध कर सकते हैं। मगर, इसके लिए राजा को प्रजा के बीच एक घोषणा जारी करवाना होगा। वह आदेश यह था कि, जिस पुरुष के अपनी पत्नी से डरने की बात सामने आएगी, उसे राजा अकबर के दरबार में एक मुर्गी जमा करानी होगी। राजा अकबर बीरबल की इस बात पर तैयार हो गए।
अगले ही दिन जनता के बीच आदेश कराया गया कि अगर यह बात सिद्ध हो जाती है कि कोई पुरुष अपनी पत्नी से डरता है, तो उसे अकबर के दरबार में आकर बीरबल के पास एक मुर्गी जमा करवानी होगी। फिर क्या था, देखते ही देखते लोगों की भीड़ आने लगी और बीरबल के पास ढेरों मुर्गियां इकठ्ठा हो गईं और सैंकड़ों मुर्गियां महल के बगीचे में घूमने लगीं।
अब बीरबल राजा अकबर के पास पहुंचे और बोले, “महाराज! महल में इतनी मुर्गियां इकट्ठा हो गई हैं कि आप एक मुर्गीखाना खोल सकते हैं, इसलिए अब आप अपने इस आदेश को वापिस ले सकते हैं।” लेकिन, महाराज ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया और महल में मुर्गियों की संख्या धीरे-धीरे और भी ज्यादा बढ़ने लगी।
इतनी अधिक मुर्गियां महल में जमा हो जाने के बाद भी जब राजा अकबर बीरबल की बात से सहमत नहीं हुए, तो बीरबल ने अपनी बात मनवाने के लिए एक नया उपाय निकाला। एक दिन बीरबल राजा अकबर के पास गए और बोले, “महाराज! मैंने सुना है कि पड़ोस के राज्य में एक बहुत की खूबसूरत राजकुमारी रहती है। अगर आप का मन हो तो क्या मैं आपका रिश्ता वहां ले जाऊं और पक्का कर आऊं?”
यह सुनते ही राजा अकबर चौंक उठे और बोले, “बीरबल! तुम ये कैसी बातें कर रहे हो। महल में पहले से ही दो महारानियां मौजूद हैं। अगर उन्हें इस बात की भनक भी लगी, तो मेरी खैर नहीं होगी।”
यह सुनकर बीरबल ने तुरंत से जवाब दिया, “चलिए महाराज, फिर तो आप भी मेरे पास दो मुर्गियां जमा करा ही दीजिए।”
राजा बीरबल का ऐसा जवाब सुनकर शर्मिंदा हो गए और उन्होंने अपना आदेश उसी समय वापस ले लिया।
कहानी से सीख –
अकबर बीरबल की इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बातों की चतुराई से हम किसी भी बात को मनवा सकते हैं। जरूरत है, तो बस बीरबल की तरह चतुराई से अपना पक्ष रखने की।