Kauwa Aur Koyal Ki Kahani | कौवा और कोयल की कहानी

Kauwa Aur Koyal Ki Kahani | कौवा और कोयल की कहानी

एक बार की बात है, एक जंगल में कौवे और कोयल एक साथ रहते थे। कौवे को गाने का शौक था और वह हमेशा खुश रहता था, जबकि कोयल गुस्से से भरी हुई दिखती थी क्योंकि उसके पंख सड़े हुए थे।

एक दिन, कोयल ने कौवे से कहा, “तुम्हारा गाना तो बिलकुल अच्छा नहीं है। मैं तो इतनी सुन्दर आवाज़ में गाती हूँ, जो लोगों को खुश कर देती है।

Kauwa Aur Koyal Ki Kahani | कौवा और कोयल की कहानी

“कौवा दुखी हो गया और उसने कोयल से कहा, “मुझमें भी गाने का तलेंट है, पर मेरे पंख सड़े हुए हैं, इसलिए मैं गाने नहीं गा पाता।”

कोयल ने उसके जज्बे को समझा और उसने कहा, “अच्छा, मैं एक सौभाग्यशाली पक्षी हूँ जो अपने स्वरों से सभी को मोह लेती हूँ। तुम मेरे साथ एक दिन बिताओ, और तुम्हें दिखा दूँगी कि कैसे मैं लोगों को खुश करती हूँ।

“कौवा खुशी से भरा हुआ था कि उसके पास मौका मिला। वे दोनों मिलकर अगले दिन तैयार हुए। कोयल ने अपनी सुन्दर आवाज़ में गाना शुरू किया, जिससे जंगल के सभी पक्षियों को आनंद आया।

Kauwa Aur Koyal Ki Kahani | कौवा और कोयल की कहानी

कौवा भी गाने की कोशिश करता रहा, लेकिन उसके पंख सड़े होने की वजह से उसका गाना असुरी आवाज़ में आता था। जंगल के पक्षियों ने कौवे का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया।

कौवा बहुत दुखी हो गया और रोने लगा। कोयल ने उसे समझाया, “तुम्हारे पंख सड़े होने से तुम अच्छे से गा नहीं पा रहे हो। इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। हर पक्षी अपने अपने तरीके से खास है और हर किसी का अपना अलग महत्व है।”

Kauwa Aur Koyal Ki Kahani | कौवा और कोयल की कहानी

कौवा कोयल के शब्दों से प्रभावित हुआ और उसने अपनी खासियत स्वीकार ली। वह फिर से खुश हो गया और कोयल के साथ दोस्ती कर ली। इस दोस्ती ने जंगल के सभी पक्षियों के बीच में एक अद्भुत मित्रता का संबंध बनाया।

कहानी से हमें यह सिख मिलती है

कि हम सभी अपने खासियतों से अद्भुत हैं और हमें खुशी महसूस करनी चाहिए कि हम जैसे भी हैं। हमें दूसरों को उनके रूप में स्वीकारना चाहिए और उन्हें सम्मान देना चाहिए।