Lalchi Lakadhara Ki Kahani | लालची लकड़हारे की कहानी
एक गांव में एक आदमी रहता था जिसका नाम था रामू। रामू बहुत लालची था और हमेशा धन की तलाश में रहता था। उसकी सबसे बड़ी पासंद थी लकड़ी का व्यापार करना। वह हर दिन जंगल में जाकर लकड़ी इकट्ठी करता और उसे बेचकर पैसे कमाता था। लेकिन उसकी लालच बढ़ती जा रही थी।
एक दिन, रामू जंगल में लकड़ी इकट्ठी कर रहा था। उसे एक बड़ा सा वृक्ष दिखाई दिया। वह वृक्ष बहुत खूबसूरत और ऊँचा था। उस वृक्ष पर बहुत सारे पैसे लटके हुए दिखाई दिए। रामू बहुत खुश हुआ और सोचा कि यह पैसे उसकी धनवृद्धि के लिए बहुत उपयुक्त होंगे।
Lalchi Lakadhara Ki Kahani | लालची लकड़हारे की कहानी
रामू ने तुरंत वहां चढ़कर पैसों को नीचे उतारने की कोशिश की, लेकिन उसके हाथ वहां नहीं पहुंच पा रहे थे। वृक्ष इतना ऊँचा था कि रामू उसे छू भी नहीं सकता था। उसकी लालच और बढ़ गई और उसने एक बड़े से लाठी को उठाकर वृक्ष की ओर मारा। लेकिन वृक्ष ने उस लाठी को अपनी शाखाओं से पकड़ लिया और रामू को जमीन पर धकेल दिया।
रामू को अपनी लालच का अहसास हुआ और उसने विचार किया कि वो वृक्ष उसके लिए एक सबक देने वाला है। उसने समझा कि धन की लालच से उसकी सोच और व्यवहार गलत हो रहे हैं।
रामू ने उस दिन से अपनी लालच को वश में करने का संकल्प किया। वह अब लकड़ी के बजाय दूसरे लोगों की मदद करने और उनके साथ समय बिताने में अपना समय बिताने लगा।
धीरे-धीरे, रामू की लालच हरी जा रही थी और उसका दिल साफ हो गया। वह खुश और संतुष्ट रहने लगा। उसकी दया और भलाई के कामों से लोग उसे पसंद करने लगे और उसे सम्मानित करने लगे।
इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है