बुद्धिमान बंदर और मगरमच्छ की कहानी
एक बार की बात है, एक घने जंगल के बीच में एक नदी बहती थी। उस नदी के किनारे एक विशाल जामुन का पेड़ था। उस पेड़ पर एक चतुर और बुद्धिमान बंदर रहता था। वह रोज जामुन खाता और खुश रहता।
दोस्ती की शुरुआत
एक दिन, एक मगरमच्छ उस नदी में आया और पेड़ के नीचे आराम करने लगा। बंदर ने मगरमच्छ को देखा और उससे पूछा, “तुम कौन हो और यहाँ क्यों आए हो?” मगरमच्छ ने जवाब दिया, “मैं यहाँ नदी में रहता हूँ और खाने की तलाश में हूँ।”बंदर ने मगरमच्छ को जामुन दिए। मगरमच्छ को जामुन बहुत पसंद आए, और धीरे-धीरे दोनों अच्छे दोस्त बन गए। बंदर रोज उसे जामुन देता, और मगरमच्छ उसके पास आता।
मगरमच्छ की चालाकी
मगरमच्छ की पत्नी को जब यह पता चला कि उसका पति बंदर के दिए हुए जामुन खा रहा है, तो उसने एक लालची योजना बनाई। उसने कहा, “अगर यह बंदर इतने स्वादिष्ट जामुन खाता है, तो इसका दिल कितना मीठा होगा! मैं उसका दिल खाना चाहती हूँ।”मगरमच्छ पहले तो हिचकिचाया, लेकिन अपनी पत्नी की बात मानने के लिए वह तैयार हो गया। उसने बंदर से कहा, “दोस्त, मेरी पत्नी ने तुम्हें हमारे घर खाने पर बुलाया है। चलो, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार ले चलता हूँ।”
बंदर की बुद्धिमानी
बंदर खुश होकर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। लेकिन जैसे ही वे नदी के बीच में पहुँचे, मगरमच्छ ने अपनी पत्नी की योजना बताई। उसने कहा, “मुझे तुम्हारा दिल चाहिए।”बंदर तुरंत समझ गया कि उसे अपनी जान बचानी होगी। उसने कहा, “अरे दोस्त, तुमने पहले क्यों नहीं बताया? मेरा दिल तो पेड़ पर है। अगर तुमने पहले बताया होता, तो मैं उसे लेकर आता। चलो वापस चलते हैं, मैं अपना दिल ले आता हूँ।”
योजना का अंत
मगरमच्छ ने सोचा कि बंदर सच कह रहा है और उसे वापस पेड़ पर ले गया। जैसे ही बंदर पेड़ पर पहुँचा, वह फुर्ती से ऊपर चढ़ गया और बोला, “तुम कितने मूर्ख हो! दिल हमेशा शरीर के अंदर होता है। अब जाओ और अपनी पत्नी को समझाओ कि लालच बुरी चीज है।”
सीख
मगरमच्छ को अपनी गलती का अहसास हुआ, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।कहानी की सीख:1. संकट के समय में बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।2. लालच बुरी बला है।इस तरह बंदर ने अपनी चतुराई से अपनी जान बचाई।