मिट्टी का खिलौनागाँव के एक छोटे से घर में रमेश नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत मासूम और सरल स्वभाव का था। उसके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए वह अपने माता-पिता से महंगे खिलौने की ज़िद नहीं करता था।
एक दिन, रमेश ने देखा कि गाँव के दूसरे बच्चे नए-नए खिलौनों से खेल रहे हैं। वह उनके पास गया और उनसे खिलौने माँगने लगा। लेकिन बच्चों ने उसे खिलौने देने से मना कर दिया और उसका मज़ाक उड़ाया। उदास होकर रमेश अपने घर लौट आया।
उसकी उदासी देखकर उसकी माँ ने पूछा, “क्या हुआ बेटा, इतने परेशान क्यों हो?”रमेश ने कहा, “माँ, मेरे पास खेलने के लिए कोई खिलौना नहीं है।”माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, “चलो, मैं तुम्हें एक ऐसा खिलौना बनाकर दूँगी जो सबसे अलग होगा।”माँ ने पास की मिट्टी ली और उसे अपने हाथों से गूंधने लगी। उन्होंने मिट्टी से एक सुंदर खिलौना बनाया—एक घोड़ा।
रमेश ने जब वह खिलौना देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।अब रमेश उस मिट्टी के घोड़े के साथ खेलने लगा। वह उसे अपने दोस्तों को दिखाने ले गया। जब दोस्तों ने देखा कि रमेश के पास एक अनोखा खिलौना है, तो वे भी उसकी प्रशंसा करने लगे।
धीरे-धीरे, रमेश ने अपनी माँ से और खिलौने बनवाने शुरू कर दिए।कुछ समय बाद, रमेश ने खुद मिट्टी के खिलौने बनाना सीख लिया। वह अब दूसरों के लिए भी खिलौने बनाने लगा। गाँव के लोग उसके बनाए खिलौनों को खरीदने लगे, और उसकी कला की प्रशंसा होने लगी।
इस तरह, रमेश ने अपनी कला और मेहनत से न केवल अपनी उदासी को दूर किया, बल्कि अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बना दिया।
शिक्षा: यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारी रचनात्मकता और मेहनत से हम अपनी परेशानियों को अवसरों में बदल सकते हैं।