मुल्ला नसरुद्दीन और बेचारे पर्यटक की कहानी | Mulla Nasruddin Aur Paryatak

मुल्ला नसरुद्दीन और पर्यटकएक बार मुल्ला नसरुद्दीन अपने गांव में एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे। तभी एक पर्यटक वहां आ पहुंचा।

उसने मुल्ला को देखा और पूछा, “क्या आप मुझे बता सकते हैं कि यह गांव कैसा है? लोग कैसे हैं?”मुल्ला ने उसकी ओर देखा और पूछा, “तुम पहले कहां के रहने वाले हो और वहां के लोग कैसे थे?”पर्यटक ने कहा, “ओह! वे लोग बहुत खराब थे।

हमेशा झगड़ते रहते थे, एक-दूसरे की मदद नहीं करते थे। वहां रहना मेरे लिए बहुत मुश्किल था।”मुल्ला मुस्कुराए और बोले, “यहां के लोग भी वैसे ही हैं।”यह सुनकर पर्यटक निराश हो गया और वहां से चला गया।कुछ समय बाद, एक और पर्यटक वहां आया और उसने भी वही सवाल किया, “यह गांव कैसा है? यहां के लोग कैसे हैं?”मुल्ला ने फिर वही सवाल पूछा, “तुम पहले कहां के रहने वाले हो और वहां के लोग कैसे थे?”पर्यटक ने खुशी-खुशी जवाब दिया, “ओह! वे लोग बहुत अच्छे थे। मददगार, दयालु और स्नेही थे।

मैं उन्हें हमेशा याद करूंगा।”मुल्ला ने मुस्कुराते हुए कहा, “यहां के लोग भी वैसे ही हैं।”मुल्ला का जवाब सुनकर पर्यटक खुश हुआ और गांव में रहने का मन बना लिया।एक व्यक्ति जो पास में खड़ा था, उसने मुल्ला से पूछा, “आपने दोनों को अलग-अलग जवाब क्यों दिए?”मुल्ला ने हंसते हुए कहा, “हर कोई दुनिया को अपनी नजर से देखता है।

अगर तुम्हारे दिल में अच्छाई है, तो हर जगह तुम्हें अच्छे लोग मिलेंगे। और अगर तुम्हारे दिल में कड़वाहट है, तो तुम्हें हर जगह वही नजर आएगी।”