मुल्ला नसरुद्दीन और बेईमान काजी की कहानी | Mulla Nasruddin Aur Beiman Kaji

मुल्ला नसरुद्दीन और बेईमान काजीएक बार मुल्ला नसरुद्दीन के गांव में एक काजी (जज) आया, जो काफी बेईमान था। वह हमेशा रिश्वत लेकर झूठे फैसले सुनाया करता था।

गांव के लोग उससे परेशान थे, लेकिन कुछ कर नहीं पा रहे थे।मुल्ला नसरुद्दीन ने सोचा कि इस समस्या का कोई हल निकालना चाहिए। उसने एक योजना बनाई।

एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन ने काजी के पास जाकर कहा, “हुजूर, मेरे पास एक बहुत अनोखा मामला है। इसे सुलझाने के लिए आपकी बुद्धिमानी की आवश्यकता है।”काजी ने कहा, “बताओ, क्या मामला है?”मुल्ला ने जवाब दिया, “मान लीजिए, एक आदमी दूसरे आदमी को एक बकरी बेचता है।

लेकिन जब दूसरा आदमी बकरी घर लेकर जाता है, तो उसे पता चलता है कि बकरी दूध नहीं देती। अब बताइए, इस स्थिति में क्या करना चाहिए?”काजी ने सोचा कि यह एक आसान मामला है और कहा, “बकरी को वापस कर देना चाहिए।”मुल्ला ने मुस्कुराते हुए कहा, “हुजूर, लेकिन जो व्यक्ति बकरी बेचता है, वह तो आप ही हैं। और मैंने कल आपसे यह बकरी खरीदी थी।

अब आप ही बताइए, क्या करना चाहिए?”काजी समझ गया कि मुल्ला उसे बेईमानी के लिए फंसा रहा है। वह शर्मिंदा हुआ और उसने कहा, “मुल्ला, गलती हो गई। मैं आगे से ऐसा नहीं करूंगा।”गांववालों को जब यह बात पता चली, तो वे बहुत खुश हुए।

मुल्ला नसरुद्दीन ने अपनी समझदारी से काजी को सुधार दिया और गांव के लोग राहत की सांस लेने लगे।

शिक्षा:ईमानदारी सबसे बड़ी नीति है, और चालाकी से बुराई पर जीत पाई जा सकती है।