मूर्ख बगुले और नेवले की कहानी हिंदी लोककथाओं में एक प्रसिद्ध कहानी है।
इस कहानी में एक बगुल और एक नेवला होते हैं। बगुल, जो अकलमंद होता है, हमेशा सोचता है कि वह बहुत ही बुद्धिमान है और सभी को उससे सिखना चाहिए। वह अपनी अकलमंदी की प्रशंसा करता है और दूसरों को अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग करने की सलाह देता है।
एक दिन, बगुले और नेवले के बीच एक वाद हो गया। बगुले ने नेवले को चुनौती दी कि जो भी उन्हें सबसे पहले एक बड़ी खोज और उसका समाधान लाएगा, वह विजेता होगा। नेवला स्वीकार कर लिया।बगुले ने सोचा कि वह अपनी बुद्धिमत्ता के बल पर जल्दी से खोज करेगा और नेवले को हराएगा।
वह जंगल में घूमने लगा, लेकिन कोई भी खोज नहीं मिली।दूसरी ओर, नेवला सीधे एक गुफा में चला गया और वहां पर अपनी खोज शुरू की। वह धीरे-धीरे गुफा के अंदर जा रहा था, तो एक छोटा सा गुफा मिला। गुफा में एक छोटा सा खज़ाना था, जिसे नेवला ने खोजा और उसे ले लिया।बगुले वापस आया, लेकिन उसने कुछ नहीं पाया।
जब वह नेवले को देखा, तो वह खज़ाना उसके साथ था। बगुले ने हैरान होकर पूछा, “तुमने यह कैसे पा लिया?”नेवला मुस्कुराते हुए बोला, “बुद्धिमान होने के बजाय, ज़िन्दगी को समझना महत्वपूर्ण होता है। “
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अकलमंदी के साथ-साथ जीवन को समझना भी बहुत ज़रूरी है।