The Lion That Sprang To Life Story In Hindi | पंचतंत्र की कहानी: जब शेर जी उठा

The Lion That Sprang To Life Story In Hindi | पंचतंत्र की कहानी: जब शेर जी उठा

पंचतंत्र की कहानी: जब शेर जी उठा

एक समय की बात है, एक नगर में चार मित्र रहते थे। उनमें से तीन बड़े वैज्ञानिक थे, किन्तु बुद्धिरहित थे; चौथा वैज्ञानिक नहीं था, किन्तु बुद्धिमान् था। एक दिन, वे चारों मित्र वन में घूम रहे थे। रास्ते में उन्हें एक मरा हुआ शेर दिखाई दिया। तीन वैज्ञानिकों को यह एक अच्छा अवसर लगा कि वे अपने विज्ञान के बल पर शेर को जीवित कर सकें।

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उन्होंने अपने-अपने शास्त्रों का अध्ययन किया और एक मंत्र का निर्माण किया। उन्होंने मंत्र का जाप किया और शेर को जीवित कर दिया। शेर जीवित होते ही तीन वैज्ञानिकों को देखकर गुस्सा हो गया। उसने उन्हें अपने पंजों में दबा लिया और मार डाला।

चौथा मित्र पेड़ पर चढ़कर बच गया। वह समझ गया कि विद्या के नशे में चूर होकर किसी काम को नहीं करना चाहिए। हर काम करते हुए उसके अच्छे और बुरे दोनों परिणामों के बारे में सोचना जरूरी है। सिर्फ विद्या में निपुणता ही नहीं, बल्कि बुद्धि का होना भी जरूरी होता है।

शिक्षा

विद्या के नशे में चूर होकर किसी काम को नहीं करना चाहिए।

हर काम करते हुए उसके अच्छे और बुरे दोनों परिणामों के बारे में सोचना जरूरी है।

सिर्फ विद्या में निपुणता ही नहीं, बल्कि बुद्धि का होना भी जरूरी होता है।

कहानी का विस्तार

चौथा मित्र, जिसका नाम अश्वमेघ था, पेड़ पर चढ़कर बच गया। वह समझ गया था कि विद्या के नशे में चूर होकर कोई भी काम करना खतरनाक हो सकता है। वह यह भी सोच रहा था कि अब वह क्या करे।

उसी समय, उसे एक बूढ़ा ऋषि दिखाई दिया। ऋषि ने अश्वमेघ को पेड़ से नीचे उतरने का संकेत दिया। अश्वमेघ पेड़ से नीचे उतरा और ऋषि के पास गया।

ऋषि ने अश्वमेघ को कहा, “तुम बहुत बुद्धिमान हो। तुमने जान बचाई है। अब तुम्हें इस शेर को कैसे शांत करना है, यह सोचना होगा।

“अश्वमेघ ने कहा, “मुझे पता है कि शेर को शांत करने के लिए मुझे एक मंत्र का जाप करना होगा। लेकिन मैं यह मंत्र नहीं जानता।

“ऋषि ने कहा, “मैं तुम्हें वह मंत्र सिखा दूंगा। लेकिन पहले तुम मुझे यह बताओ कि तुमने तीन वैज्ञानिकों को क्यों बचाया?”

अश्वमेघ ने कहा, “मैंने उन्हें इसलिए बचाया क्योंकि वे मेरे दोस्त हैं। मैं चाहता था कि वे भी इस संकट से बच जाएं।”

ऋषि ने अश्वमेघ की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “तुम एक सच्चे मित्र हो। मैं तुम्हें वह मंत्र सिखा दूंगा।”ऋषि ने अश्वमेघ को मंत्र सिखाया। अश्वमेघ ने मंत्र का जाप किया और शेर को शांत कर दिया।

शेर अश्वमेघ की बुद्धिमत्ता और दया से प्रसन्न हो गया। उसने अश्वमेघ से कहा, “मैं तुमसे बहुत प्रभावित हुआ हूं। मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं।”

अश्वमेघ और शेर दोस्त बन गए। वे दोनों एक साथ वन में घूमते थे और शिकार करते थे। अश्वमेघ ने शेर को अपने साथ नगर ले आया।

नगर के लोग शेर को देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने अश्वमेघ की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा की।अश्वमेघ ने नगर के लोगों को बताया कि शेर अब उनका मित्र है। शेर ने नगर के लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाने का वादा किया। नगर के लोग शेर से बहुत खुश हुए। उन्होंने अश्वमेघ को धन्यवाद दिया।

अश्वमेघ ने अपनी बुद्धिमत्ता और दयालुता से एक शेर को भी अपना मित्र बना लिया। वह एक सच्चे मित्र और एक दयालु व्यक्ति थे।

कहानी का अंत