Raja Aur Murkh Bandar Ki Kahani |राजा और मूर्ख बंदर की कहानी
राजा और मूर्ख बंदर
एक समय की बात है, एक राजा था जो अपने राज्य के लोगों से बहुत प्यार करता था। वह हमेशा उनके दुख-सुख में साथ रहता था। राजा को जंगल के बंदरों से बहुत प्यार था। वह अक्सर जंगल में घूमता रहता था और बंदरों को खेलते हुए देखता था।
एक दिन राजा जंगल में घूम रहा था कि उसे एक बंदर मिला। बंदर बहुत ही सुंदर और चतुर था। राजा को बंदर बहुत अच्छा लगा और उसने उसे अपने महल में ले आया। राजा ने बंदर का नाम “बंदरू” रखा और उसे बहुत प्यार दिया।बंदरू राजा का बहुत ही अच्छा दोस्त बन गया। वह राजा की हर बात मानता था और उसकी हर सेवा करता था। राजा भी बंदरू से बहुत प्यार करता था।
एक दिन राजा अपने महल के बगीचे में बैठा हुआ था। वह एक किताब पढ़ रहा था। तभी एक मक्खी आकर राजा के माथे पर बैठ गई। मक्खी की आवाज से राजा का ध्यान भंग हो गया। वह मक्खी को भगाने लगा।बंदरू भी राजा की मदद करने के लिए आ गया। उसने भी मक्खी को भगाने की कोशिश की। लेकिन मक्खी बहुत ही चतुर थी। वह राजा के माथे से उड़कर उसके सिर पर बैठ जाती थी। फिर वह राजा की छाती पर जाकर बैठ जाती थी।बंदरू को मक्खी बहुत परेशान कर रही थी। वह मक्खी को मारने के लिए अपना पंजा उठाने लगा। तभी मक्खी राजा की आंख में बैठ गई।राजा को बहुत तेज दर्द हुआ।
वह चिल्लाते हुए उठ खड़ा हुआ। बंदरू को भी बहुत गुस्सा आ गया। उसने अपनी पूंछ से मक्खी को मारने की कोशिश की। लेकिन वह मक्खी बहुत ही फुर्तीली थी। वह बंदरू के पंजे से बचकर निकल गई।मक्खी ने राजा को बहुत परेशान कर दिया था।
राजा को बहुत गुस्सा आ रहा था। वह मक्खी को मारने के लिए तैयार था।बंदरू भी मक्खी को मारने के लिए राजा का साथ देने लगा। उसने अपना पंजा उठाकर मक्खी पर हमला किया। लेकिन मक्खी बहुत ही चतुर थी।
वह राजा और बंदरू के हमलों से बचकर निकल गई।मक्खी को देखकर राजा और बंदरू दोनों बहुत ही परेशान हो गए। वे दोनों मक्खी को मारने के लिए बहुत कोशिश कर रहे थे, लेकिन मक्खी उनसे बचकर निकल जाती थी।तभी एक बुद्धिमान बुजुर्ग आया।
उसने राजा और बंदरू को देखा तो उन्हें समझाया, “मक्खी बहुत ही छोटी और चतुर है। उसे मारना बहुत मुश्किल है। तुम दोनों ही उसकी चतुराई में फंस गए हो।”बुजुर्ग की बात सुनकर राजा को समझ आ गया कि वह मक्खी को मारने में असफल रहेगा। वह बुजुर्ग से बोला, “आप क्या उपाय बता सकते हैं?”बुजुर्ग बोला, “तुम दोनों ही मक्खी को ध्यान से देखो। मक्खी तुम्हारे ध्यान भंग करने की कोशिश कर रही है।
जब वह तुम्हारे ध्यान भंग कर देगा, तब वह तुम्हारे पास से भाग जाएगी।”राजा और बंदरू ने बुजुर्ग की बात मानी। उन्होंने मक्खी को ध्यान से देखा। मक्खी बार-बार उनके ध्यान भंग करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन राजा और बंदरू ने उसकी चाल को समझ लिया।
जब मक्खी ने राजा और बंदरू का ध्यान भंग कर दिया, तो वह उनके पास से भागने लगी। लेकिन राजा और बंदरू ने उसे देख लिया। उन्होंने अपना पंजा उठाकर मक्खी को पकड़ लिया।मक्खी को पकड़कर राजा और बंदरू बहुत खुश हुए।
उन्होंने बुजुर्ग को धन्यवाद दिया।बुजुर्ग बोला, “तुम दोनों ही बहुत ही बुद्धिमान हो। तुमने मक्खी की चाल को समझ लिया।”राजा और बंदरू ने बुजुर्ग की बात सुनकर बहुत खुशी महसूस की। उन्होंने बुजुर्ग से कहा, “हम हमेशा आपके आशीर्वाद में रहेंगे।
शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए। हमें किसी भी काम में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।